नई दिल्ली: #BoycottTurkey: ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकानों पर की गई भारत की कार्रवाई के बाद, अब उसके सहयोगियों पर भी शिकंजा कसना शुरू हो गया है।
भारत सरकार ने गुरुवार को तुर्की की ग्राउंड हैंडलिंग कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की सुरक्षा मंजूरी तत्काल प्रभाव से रद्द कर दी है। यह कंपनी देश के 9 प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर अपनी सेवाएं दे रही थी।
#BoycottTurkey: सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी रद्द, सेवाएं बंद
नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के मद्देनजर यह कार्रवाई की गई है। सेलेबी की सेवाएं दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, कोचीन, गोवा (जीओएक्स), अहमदाबाद और कन्नूर हवाई अड्डों पर थीं।
सेलेबी तुर्की की मूल कंपनी है, जिसकी भारतीय इकाई देश में ग्राउंड ऑपरेशन, कार्गो और लॉजिस्टिक सेवाओं का संचालन कर रही थी। अब इस कंपनी की सभी गतिविधियों की भी समीक्षा की जा रही है।
#BoycottTurkey: ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ा है सीधा कनेक्शन
बता दें कि हाल ही में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर जबरदस्त हमला किया था। खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन हमलों में पाकिस्तान ने तुर्की निर्मित ड्रोन और तकनीक का इस्तेमाल किया था। तुर्की और अजरबैजान ने भारत की कार्रवाई की आलोचना भी की थी, जिसके बाद देश में #BoycottTurkey ट्रेंड कर रहा है।
यह भी पढ़े: लातेहार पुलिस ने तीन पीएलएफआई उग्रवादियों को किया गिरफ्तार
जेएनयू, जामिया ने भी तुर्की के साथ रिश्ते तोड़े
केवल कॉरपोरेट और इंफ्रास्ट्रक्चर स्तर पर ही नहीं, शैक्षणिक मोर्चे पर भी तुर्की को बड़ा झटका मिला है। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) ने तुर्की के इनोनू विश्वविद्यालय के साथ किया गया समझौता (MoU) निलंबित कर दिया है। जामिया मिलिया इस्लामिया ने भी तुर्की के शैक्षणिक संस्थानों से सभी प्रकार के सहयोग पर रोक लगा दी है। वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) भी अपनी अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों की समीक्षा कर रहा है।
JNU की कुलपति शांतिश्री धुलीपुडी पंडित ने बयान जारी कर कहा, “जेएनयू राष्ट्र और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा है। इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है।”
तुर्की की बाकी कंपनियों की भी जांच शुरू
सरकार अब तुर्की से जुड़ी अन्य परियोजनाओं और कंपनियों की भूमिका की भी समीक्षा कर रही है। इन क्षेत्रों में मेट्रो रेल, IT, निर्माण और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टर शामिल हैं। तुर्की की कंपनियां जिन भारतीय परियोजनाओं में शामिल हैं, उनकी समीक्षा के बाद आगे की कार्रवाई हो सकती है।
विदेश नीति में भी बदले समीकरण
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने तुर्की के पारंपरिक विरोधियों जैसे ग्रीस, आर्मेनिया, साइप्रस और खाड़ी देशों (सऊदी अरब, UAE) के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए हैं। ऐसे में तुर्की को अब रणनीतिक, आर्थिक और राजनीतिक सभी स्तरों पर भारत की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।