नई दिल्ली: भारत और तालिबान (India-Taliban) के बीच पहली उच्चस्तरीय आधिकारिक बातचीत गुरुवार को फोन के माध्यम से हुई, जिसमें भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के बीच द्विपक्षीय संबंध, सुरक्षा मुद्दे, और आपसी सहयोग जैसे विषयों पर चर्चा की गई।
इस वार्ता को अफगानिस्तान में तालिबान शासन की स्थापना के बाद भारत की ओर से कूटनीतिक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
पहलगाम हमले की निंदा, ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में वार्ता
विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि मुत्ताकी ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। इस घटना के जवाब में भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। जयशंकर ने कहा कि उन्होंने मुत्ताकी का इस संवेदनशील मुद्दे पर समर्थन जताने के लिए धन्यवाद किया।
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गलतफहमियों को किया खारिज, रिश्ते मजबूत करने पर जोर
इस बातचीत में मुत्ताकी ने स्पष्ट रूप से उन अफवाहों और आरोपों को खारिज किया जिनमें भारत और तालिबान के बीच फर्जी हमले या सहयोग के झूठे दावे किए गए थे। दोनों पक्षों ने रिश्तों में पारदर्शिता और परस्पर सम्मान को प्राथमिकता देने पर सहमति जताई।
व्यापार, वीजा और कैदियों की रिहाई पर भी चर्चा
तालिबान की ओर से जारी बयान में कहा गया कि बातचीत के दौरान चाबहार पोर्ट के उपयोग, द्विपक्षीय व्यापार, राजनयिक संवाद, और वीजा प्रक्रिया को आसान बनाने जैसे मुद्दों पर भी बात हुई। मुत्ताकी ने भारत में अफगान नागरिकों, विशेष रूप से मरीजों और व्यापारियों के लिए वीजा सुविधाएं बहाल करने की अपील की, साथ ही भारत में बंद अफगान कैदियों की रिहाई और वापसी की मांग भी रखी।
विदेश मंत्री जयशंकर ने इन मांगों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया और कहा कि भारत अफगान जनता के साथ अपनी पारंपरिक मित्रता और विकास सहयोग को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
कूटनीतिक संकेत और आगे की राह
इस उच्चस्तरीय संपर्क को क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक सतर्क लेकिन महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत द्वारा तालिबान के साथ बातचीत का यह तरीका व्यावहारिक कूटनीति का संकेत देता है, जिसमें मानवीय, सुरक्षा और व्यापारिक हित प्राथमिक हैं।
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