Jharkhand में लोकतंत्र की मजबूत नींव को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग ने एक अहम कदम उठाया है। राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने पाया कि सात पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों का कोई ठोस पता नहीं मिल पा रहा है।
इनमें से पांच दल ऐसे हैं जिनका कोई भौतिक कार्यालय, प्रतिनिधि या संपर्क का माध्यम उपलब्ध नहीं है। आयोग का मानना है कि इन दलों की निष्क्रियता लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ के समान है।
Jharkhand news: राजनीतिक दलों की जवाबदेही पर सवाल
भारत के निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, किसी भी पंजीकृत राजनीतिक दल को नियमित रूप से अपने गतिविधियों की जानकारी पते में बदलाव की सूचना और लेखा-जोखा देना होता है। लेकिन जिन दलों की पहचान झारखंड में की गई है वे ना तो आयोग की नोटिस का जवाब दे रहे हैं और ना ही किसी प्रकार की जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।
यह स्थिति आयोग को यह मानने पर मजबूर कर रही है कि ये दल अब अस्तित्व में नहीं हैं या इनका कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं बचा है।
Jharkhand News: सुनवाई में अनुपस्थित दलों के खिलाफ कार्रवाई संभव
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने इन सात दलों को नोटिस भेजकर व्यक्तिगत या लिखित रूप से अपना पक्ष रखने का अवसर दिया था। लेकिन इनमें से पांच दल न तो सुनवाई में उपस्थित हुए और न ही कोई प्रतिनिधि भेजा। इस पर आयोग ने अब इनके पंजीकरण को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह कदम चुनावी व्यवस्था को पारदर्शी और जवाबदेह बनाए रखने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
Jharkhand News: कानूनी प्रक्रिया/पंजीकरण रद्द करने का आधार
चुनाव आयोग के नियमों के तहत किसी भी राजनीतिक दल का पंजीकरण रद्द किया जा सकता है यदि पार्टी लगातार निष्क्रिय पाई जाए। पार्टी अपना पता या विवरण छुपाए।आयोग के नोटिसों का जवाब ना दे। निर्धारित समय पर वार्षिक रिपोर्ट या लेखा जानकारी जमा ना करे।इन दलों के खिलाफ उपरोक्त सभी शर्तें लागू होती दिख रही हैं।
लोकतंत्र की सफाई- निष्क्रिय दलों की पहचान जरूरी
चुनाव आयोग के इस निर्णय को लोकतांत्रिक व्यवस्था में “सफाई अभियान” की तरह देखा जा रहा है। निष्क्रिय और केवल नाम के लिए पंजीकृत राजनीतिक दलों का कोई महत्व नहीं रह जाता। ये दल कई बार चुनावी कागजों में भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं या चुनावी प्रक्रिया में बाधा बनते हैं। ऐसे में आयोग का यह प्रयास जनता के विश्वास को मजबूत करने और चुनावी प्रणाली की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए सराहनीय है।
झारखंड में चुनाव आयोग की ओर से पंजीकृत राजनीतिक दलों की जांच और कार्रवाई का यह कदम राज्य की राजनीतिक व्यवस्था को साफ-सुथरा और पारदर्शी बनाने की दिशा में अहम है। निष्क्रिय दलों की मान्यता रद्द कर सक्रिय और जनसंपर्क में रहने वाले दलों को ही लोकतंत्र में जगह देना अब समय की जरूरत बन चुकी है।
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