Wednesday, August 6, 2025
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पंचतत्व में विलीन हुए गुरुजी Shibu Soren, हेमंत सोरेन ने दी मुखाग्नि, अंतिम जोहार के लिए उमड़ा जनसैलाब

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और आदिवासी नेता दिशोम गुरु के नाम से विख्यात Shibu Soren का मंगलवार को उनके पैतृक गांव नेमरा (रामगढ़ जिले) में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

 

दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इलाज के दौरान 4 अगस्त को 81 वर्ष की आयु में निधन हो चुके शिबू सोरेन को उनके अंतिम यात्रा के दौरान भारी जनसैलाब ने नम आंखों से अंतिम जोहार कहा।

Shibu Soren News: मुखाग्नि और अंतिम यात्रा

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और छोटे पुत्र बसंत सोरेन ने शिबू सोरेन के पार्थिव शरीर को कंधा दिया और हेमंत सोरेन ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार पारंपरिक संथाली रीति-रिवाजों के अनुसार पंचतत्व में विलीन करके पूरा किया गया।

Shibu Soren News: राजकीय सम्मान और भारी जनसैलाब

नेमरा के श्मशान घाट पर लाखों श्रद्धालुओं, राजनेताओं और आमजनों का जनसैलाब उमड़ा। रांची के मोरहाबादी आवास से शुरू हुई अंतिम यात्रा विधानसभा परिसर परियंत गई जहां कई सियासी, सामाजिक और प्रशासनिक नेता उपस्थित थे।

प्रमुख नेताओं की उपस्थिति

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो सहित कई दिग्गज नेताओं ने अंतिम श्रद्धांजलि दी। अर्जुन मुंडा और सुदेश महतो बाइक से अंतिम संस्कार स्थल पहुंचे।

निजी और राजनीतिक जीवन की झलक

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को नेमरा गांव में हुआ था। उनका बचपन का नाम शिवलाल था। उनके पिता सोबरन सोरेन, जो गांधीवादी शिक्षक थे, की हत्या के बाद उन्होंने बाल्यावस्था में ही महाजनों के खिलाफ संघर्ष की दिशा पकड़ी। उन्होंने झारखंड मुक्ति आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और तीन बार मुख्यमंत्री पद संभाला।

अंतिम विदाई में दिखा आंसुओं का सैलाब

शिबू सोरेन की अंतिम यात्रा में श्रद्धालुओं ने “गुरुजी अमर रहें”, “गुरुजी जिंदाबाद” के नारे लगाए। झारखंड की सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि में उनका स्थान एक पथप्रदर्शक और आदिवासी चेतना के प्रतीक के रूप में अमिट है।

दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन ने झारखंड और देश को एक महान नेता से वंचित कर दिया है। उनका अंतिम संस्कार उनकी लोकप्रियता और आदिवासी जनमानस के प्रति उनके गहरे प्रेम का स्पष्ट प्रमाण था। उनका संघर्ष, आदर्श और नेतृत्व आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा।

 

 

 

 

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