India-US: भारत के प्रमुख सरकारी तेल रिफाइनर इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम और मैंगलोर रिफाइनरी ने पिछले एक सप्ताह से रूस से कच्चा तेल की खरीद अस्थायी रूप से रोक दी है।
यह बड़ा कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रूस से तेल खरीदने वालों पर लगने वाली टैरिफ और जुर्माने की कड़ी चेतावनी, साथ ही रूस से मिलने वाली छूट की कमी के चलते उठाया गया है।
India-US Trade War: प्रमुख वजहें
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रूस से मिलने वाली छूट इस समय पिछले वर्षों की तुलना में सबसे कम स्तर पर है, जिससे तेल महंगा और कम आकर्षक हो गया है।
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ट्रंप ने 14 जुलाई को चेतावनी दी थी कि यदि रूस-यूक्रेन के बीच कोई बड़ा शांति समझौता नहीं होता, तो रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा।
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इस प्रकार की अमेरिकी और यूरोपीय संघ की कड़ा नियंत्रण और प्रतिबंधों ने तेल के लेन-देन और वित्तीय व्यवस्था को कठिन बना दिया है, जिससे भारत के सरकारी रिफाइनर रुके हुए हैं।
India-US Trade War: विकल्प की ओर रुख
सरकारी रिफाइनर अब देशों से स्पॉट मार्केट में कच्चा तेल खरीदने लगे हैं, खास तौर पर मध्य पूर्व के अबू धाबी के मुरबन क्रूड और पश्चिमी अफ्रीका के तेल की ओर। निजी कंपनियां जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और नयारा एनर्जी रूसी तेल की खरीद में सक्रिय हैं क्योंकि उनके मासिक या वार्षिक कॉन्ट्रैक्ट हैं।
प्रभाव
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भारत, जो विश्व में तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है, रूस का सबसे बड़ा समुद्री कच्चा तेल खरीदार भी रहा है। पिछले वर्षों में रूस से आयात बढ़ा है, जो अब अस्थिरता की स्थिति में है।
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इस निर्णय से रूस की तेल बिक्री पर तत्काल असर पड़ सकता है और भारत की ऊर्जा सुरक्षा-आपूर्ति श्रृंखलाओं में बदलाव आ सकता है।
प्रतिक्रिया और आगे की संभावनाएँ
भारत सरकार ने अभी तक आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। लेकिन बाजार विश्लेषकों का अनुमान है कि यह कदम ट्रंप की टैरिफ नीति और वैश्विक ऊर्जा राजनीति का परिणाम है।
वर्तमान में भारत अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार संबंध मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, और इस बीच ऊर्जा सुरक्षा एवं आर्थिक हितों के बीच संतुलन बनाना चुनौतीपूर्ण हो गया है।
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