Bagaha News: बिहार सरकार शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का दावा तो करती है, लेकिन बगहा प्रखंड के पहाड़ी मझौआ प्राथमिक विद्यालय की स्थिति बेहद चिंताजनक है। 2006 में स्थापित इस विद्यालय में अभी भी भवन, भूमि और बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। नतीजतन, बच्चे खुले आसमान के नीचे, पेड़ों की छाया में पढ़ने को मजबूर हैं।
विद्यालय में कक्षा 1 से 5 तक लगभग 155 छात्र नामांकित हैं और सात शिक्षक कार्यरत हैं। फिर भी, न तो कक्षाएँ हैं, न ब्लैकबोर्ड, न शौचालय और न ही सुरक्षित परिसर। गर्मी, बारिश और चिलचिलाती धूप में पढ़ाई बच्चों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है, कई बार तो बेहोशी की हालत भी हो जाती है।
प्रधानाध्यापक बैरिस्टर राम ने बताया कि 2008 में भवन निर्माण के लिए धनराशि मिली थी, लेकिन भूमि विवाद के कारण काम शुरू नहीं हो सका और धनराशि वापस कर दी गई। तब से स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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बच्चे खुले में शौच करने को मजबूर हैं, जिससे असुरक्षा और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है, खासकर छात्राओं के लिए। अभिभावकों और ग्रामीणों ने प्रशासन से कई बार गुहार लगाई, लेकिन सिर्फ़ आश्वासन ही मिले।
खंड शिक्षा अधिकारी ने बताया कि स्कूल “भूमिहीन और भवनहीन” है, और भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अंचल अधिकारी को पत्र भेजा गया है।
सवाल यह है कि 19 साल बाद भी इस स्कूल को ज़मीन क्यों नहीं मिली? ये बच्चे कब तक पेड़ों की छाँव में अपने भविष्य की नींव रखेंगे?