हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झारखंड सरकार (Jharkhand Cabinet) ने गिग इकॉनमी से जुड़े जोमैटो, स्विगी, ओला, उबर जैसे प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले लगभग 50,000 श्रमिकों के लिए “कल्याण बोर्ड” गठित करने का निर्णय लिया है।
यह निर्णय गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा, आर्थिक सहायता और नियमन के दायरे में लाने के उद्देश्य से लिया गया है।
Jharkhand Cabinet: मुख्य बिंदु
- विधेयक का नाम: झारखंड प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स (रजिस्ट्रेशन और वेलफेयर) विधेयक, 2025
- उद्देश्य: गिग वर्कर्स को पंजीकृत कर प्रोटेक्शन और वेलफेयर फंड का लाभ देना
- लाभार्थी: जोमैटो, स्विगी, ओला, उबर आदि में कार्यरत ~50,000 श्रमिक
- कानूनी ढांचा: यह विधेयक झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा
Jharkhand Cabinet: गिग वर्कर्स को कैसे मिलेगा लाभ?
क्षेत्र | प्रावधान |
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📋 पंजीकरण | सभी गिग वर्कर्स का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जाएगा |
💰 कल्याण फंड | एक वेलफेयर फंड बनाया जाएगा जिससे श्रमिकों को आपात मदद, बीमा और अन्य सहायता मिलेगी |
🛡️ प्रोटेक्शन | मध्यस्थ कंपनियों की मनमानी से सुरक्षा, नियामक निगरानी |
📱 पोर्टल | ट्रैकिंग, मॉनीटरिंग और रजिस्ट्रेशन के लिए तकनीकी पोर्टल विकसित किया जाएगा |
Jharkhand Cabinet: खनन अधिकारियों को दी गई स्वतंत्र कार्रवाई की शक्ति
कैबिनेट ने खनिज एवं भूतत्व विभाग के अधिकारियों को भी अवैध खनन पर कार्रवाई की शक्ति प्रदान की है।
नए अधिकार किसे मिले?
पदाधिकारी | क्षेत्राधिकार |
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खान निदेशक, अपर निदेशक | सम्पूर्ण राज्य |
उप निदेशक, जिला खनन पदाधिकारी | अपने-अपने जिला क्षेत्र |
पहले कार्रवाई सिर्फ राज्य स्तर पर होती थी, अब क्षेत्रीय स्तर पर तत्काल कार्रवाई संभव होगी।
सरकार की सोच
सरकार का मानना है कि गिग वर्कर्स आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, लेकिन उनकी कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है। वो मध्यस्थ कंपनियों के शोषण का शिकार होते हैं। यह कानून उन सभी गिग कर्मियों को सम्मान, सुरक्षा और अधिकार देने की दिशा में एक ठोस कदम है।
झारखंड सरकार द्वारा गिग वर्कर्स के लिए कल्याण बोर्ड का गठन न केवल राज्य में एक सामाजिक और आर्थिक सुधार है, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है। साथ ही, अवैध खनन के विरुद्ध सख्त कदमों से राज्य की प्राकृतिक संपदाओं की रक्षा को भी बल मिलेगा।