रांची। Jharkhand की प्रमुख कोयला परियोजनाओं में से एक मगध कोल प्रोजेक्ट (चतरा) और चंद्रगुप्त ओपनकास्ट कोल प्रोजेक्ट (हजारीबाग) में जमीन अधिग्रहण के बदले दी जाने वाली नौकरियों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। अब राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए CID को प्राथमिकी दर्ज करने और जांच का जिम्मा सौंप दिया है।
Jharkhand News: कैसे हुआ घोटाला?
प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि एक संगठित गिरोह ने फर्जी दस्तावेज, जाली हस्ताक्षर, नकली हुकुमनामा, जमाबंदी, वंशावली और लगान रसीदों के जरिए खुद को विस्थापित बताकर न सिर्फ मुआवजा राशि हड़पी, बल्कि सीसीएल (सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड) में नौकरियां भी हथिया लीं।
चतरा जिला प्रशासन की जांच में यह भी सामने आया कि कुछ लोग अधिग्रहण क्षेत्र से बाहर के थे, लेकिन उन्हें भूमि रैयत बताकर नौकरी दिलाई गई।
Jharkhand News: किनकी भूमिका संदिग्ध?
- सीसीएल के अफसरों के एक ही समूह की मिलीभगत उजागर हुई है।
- राजस्व विभाग के अफसर और कर्मचारी भी संदेह के घेरे में हैं।
- जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के बयान के आधार पर कई नामजद व्यक्तियों पर पहले ही मामला दर्ज है।
Jharkhand News: क्या होगी आगे की कार्रवाई?
- टंडवा थाना में पहले से दर्ज केस को CID टेकओवर करेगी।
- हजारीबाग की चंद्रगुप्त परियोजना में नई प्राथमिकी सीधा CID दर्ज करेगी।
- DGP को रिपोर्ट सौंपने के बाद, CID को केस दर्ज करने का आदेश मिल चुका है।
शिकायतकर्ता कौन?
यह घोटाला दुर्गा उरांव उर्फ दुर्गा मुंडा नामक व्यक्ति की शिकायत के बाद सामने आया, जिन्होंने गृह सचिव और डीजीपी से इसकी शिकायत की थी। शिकायत की जांच के बाद मामला गंभीर पाए जाने पर इसे CID के हवाले किया गया।
अब तक की कार्रवाई:
- टंडवा थाना में 22 नामजद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज।
- जिला प्रशासन ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वालों की सूची तैयार की है।
- नौकरी एवं मुआवजा लाभ लेने वालों की पुनः जांच की प्रक्रिया भी शुरू की जा सकती है।
झारखंड की कोल परियोजनाओं में जमीन अधिग्रहण और नौकरी के नाम पर हुआ यह घोटाला, न केवल विस्थापित ग्रामीणों के अधिकारों का हनन है, बल्कि सरकारी व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है। CID की जांच से आने वाले दिनों में और कई नाम सामने आ सकते हैं। सरकार की अगली कार्रवाई पर पूरे राज्य की नजरें टिकी हैं।