रांची/लातेहार: Jharkhand के लातेहार जिले में सड़क निर्माण कार्य में लगे वाहनों को आग के हवाले करने और एक व्यक्ति को गोली मारने की नक्सली वारदात ने राज्य प्रशासन को झकझोर दिया है।
घटना के तुरंत बाद राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और गुरुवार को पुलिस मुख्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सभी आला अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की।
Jharkhand: नक्सलियों की पहचान और कार्रवाई में तेज़ी लाने के निर्देश
बैठक में डीजीपी ने सभी जिला पुलिस अधीक्षकों (SP) को आदेश दिए कि वे अपने-अपने जिलों में सक्रिय और फरार नक्सलियों एवं उग्रवादियों की प्रोफाइल तैयार करें। इसके साथ ही “Know Your Enemy, Know Your Friend” सिद्धांत पर काम करने को कहा गया, ताकि अभियान और अधिक प्रभावी हो सके।
Jharkhand: इन जिलों पर रहा विशेष फोकस
बैठक में लातेहार, हजारीबाग, चाईबासा, लोहरदगा और पलामू जैसे नक्सल प्रभावित जिलों में चल रही गतिविधियों की विस्तार से समीक्षा की गई। डीजीपी ने स्पष्ट किया कि माओवादी, अन्य उग्रवादी गुटों और स्प्लिंटर ग्रुप्स का संपूर्ण उन्मूलन सरकार की प्राथमिकता है।
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एसपी को दिए ये मुख्य निर्देश:
- भूतपूर्व घटनाओं की समीक्षा: माओवादी, स्प्लिंटर ग्रुप्स या लेवी मांगने से संबंधित दर्ज घटनाओं की फाइलें खंगाली जाएं।
- प्राथमिकी अनिवार्य: धमकी या सूचना मिलने पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज हो।
- फरार आरोपियों पर कार्रवाई: कुर्की-जब्ती कर संपत्तियों को जब्त किया जाए।
- संपत्ति की पहचान: अपराध से अर्जित संपत्तियों का दस्तावेजीकरण कर आगे की कार्रवाई हो।
- जमानत पर छूटे अपराधियों की निगरानी: जेल से बाहर आए उग्रवादियों की कड़ी निगरानी सुनिश्चित हो।
- पुरस्कार योजना: फरार नक्सलियों पर इनाम की घोषणा हेतु प्रस्ताव शीघ्र भेजे जाएं।
- प्रचार-प्रसार: नक्सल आत्मसमर्पण नीति को लेकर व्यापक प्रचार किया जाए।
Jharkhand News: उच्च अधिकारियों की मौजूदगी
बैठक में एडीजी अभियान डॉ. संजय आनंदराव लाठकर, आइजी अभियान अमोल होमकर, डीआईजी एसआईबी चंदन कुमार झा, और एसपी अभियान अमीत रेणु समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रांची, पलामू, हजारीबाग, बोकारो सहित अन्य नक्सल प्रभावित जिलों के अधिकारी भी बैठक से जुड़े।
नक्सलियों के खिलाफ अब ‘नो टॉलरेंस’ की नीति
लातेहार की ताजा घटना ने झारखंड सरकार को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि अब केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि योजनाबद्ध और आक्रामक रणनीति की जरूरत है। डीजीपी के निर्देशों से स्पष्ट है कि आने वाले समय में नक्सलियों और उग्रवादी तत्वों पर शिकंजा कसने के लिए राज्य पुलिस हर स्तर पर चौकसी बढ़ाएगी और कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी।