करमा पर्व 2025: झारखंड, बिहार, छत्तीसगढ़ और मध्य भारत के कई हिस्सों में भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाने वाला करमा पर्व प्रकृति और परंपरा का अनूठा संगम है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी देता है।
प्रकृति पूजा करम पर्व की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं, बधाई और जोहार।
करम पर्व हमारी समृद्ध संस्कृति, सभ्यता और जीवनशैली का प्रतीक है। यह पर्व भाई-बहन के अटूट संबंध, सामाजिक समरसता तथा प्रकृति के प्रति हमारी गहरी आस्था और कृतज्ञता को दर्शाता है। हमारे पूर्वजों द्वारा हमें दिया गया… pic.twitter.com/DPryfMkO6d
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) September 3, 2025
करमा पर्व की सबसे खास बात यह है कि इसे भाई-बहन का पर्व भी माना जाता है। बहनें अपने भाई की लंबी उम्र, सुख और समृद्धि की कामना करती हैं और व्रत रखती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों की रक्षा और स्नेह का वचन देते हैं। इस प्रकार यह पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक बनकर समाज में अपनापन और एकजुटता का संदेश फैलाता है।
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इस दिन महिलाएँ उपवास रखकर जंगल से लाए गए करम (करमा) वृक्ष की डाल को स्थापित करती हैं। पूजा-पाठ, गीत-संगीत और नृत्य के माध्यम से लोग प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। करमा गीतों में जीवन, फसल, परिवार और पर्यावरण के प्रति गहरी भावनाएँ झलकती हैं।
करमा पर्व हमें याद दिलाता है कि जीवन की खुशहाली और समृद्धि प्रकृति से ही जुड़ी हुई है। भाई-बहन का यह पर्व केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि प्रकृति के साथ संतुलित जीवन जीने का भी संदेश देता है।