Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में पहली से पांचवी तक हिंदी को अनिवार्य करने के अपने फैसले पर पीछे हटते हुए बड़ा यू-टर्न लिया है।
विजय मराठी माणसाचा, विजय मराठी भाषेचा! pic.twitter.com/na5luq4hdS
— Office of Uddhav Thackeray (@OfficeofUT) June 29, 2025
इस फैसले पर शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने तंज कसते हुए कहा कि सरकार मराठी मानुष की एकता के आगे हार गई। उन्होंने आरोप लगाया कि देवेंद्र फडणवीस सरकार का उद्देश्य मराठी और गैर-मराठी समाज में बंटवारा पैदा करना था, लेकिन मराठी समाज ने एकजुट होकर इसका जवाब दे दिया।
राज ठाकरे ने भी इस फैसले को मराठी समाज की बड़ी जीत बताया और कहा कि अगर 5 जुलाई को मोर्चा निकलता, तो यह संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन की याद ताजा कर देता। उन्होंने सवाल उठाया कि हिंदी को अनिवार्य करने का दबाव सरकार पर किसने डाला था – यह अब भी रहस्य बना हुआ है। मनसे ने अप्रैल 2025 से ही इसका विरोध शुरू कर दिया था।
Uddhav Thackeray ने आगे कहा कि यह केवल एक भाषा या नीतिगत फैसला नहीं था, बल्कि यह मराठी अस्मिता और आत्मसम्मान का प्रश्न था। ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी को “झूठ की फैक्ट्री” बताते हुए कहा कि जनता अब भाजपा की सस्ती राजनीति को भलीभांति समझ चुकी है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी पार्टी का नहीं, मराठी जनता की सामूहिक चेतना का परिणाम है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि अब 5 जुलाई को प्रस्तावित रैली विरोध प्रदर्शन नहीं बल्कि विजय जुलूस के रूप में निकाली जाएगी। मराठी आरक्षण और भाषा की रक्षा के लिए हुए इस आंदोलन ने यह सिद्ध कर दिया कि महाराष्ट्र की जनता अपनी संस्कृति और अधिकारों से समझौता नहीं करेगी।
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