पटना— बिहार की राजनीति में विधानसभा चुनावों को लेकर हलचल तेज हो गई है। इसी बीच राजद सांसद Misa Bharti और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान के बीच बयानबाजी से राजनीतिक पारा चढ़ गया है।
Misa Bharti का तीखा बयान: “सांसदी से इस्तीफा दें”
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती ने चिराग पासवान को खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा, “अगर चिराग विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो सबसे पहले सांसद और मंत्री पद से इस्तीफा दें और सुरक्षित (आरक्षित) सीट छोड़कर सामान्य सीट से चुनाव लड़ें।” मीसा का यह बयान विपक्ष के स्वर को भी प्रतिबिंबित करता है, जिसमें चिराग से सीधे जनादेश लेने की मांग की जा रही है।
सीएम बनने की मंशा पर तंज
मीसा ने यह भी कहा कि “हर पार्टी के कार्यकर्ता चाहते हैं कि उनका नेता मुख्यमंत्री बने, लेकिन अब ये नीतीश कुमार और बीजेपी को सोचना है कि चिराग को कितना महत्व देना है।” यह टिप्पणी उन पोस्टरों और नारों पर आई है जिनमें चिराग पासवान को “बिहार का सीएम” बताया गया है।
चिराग पासवान की प्रतिक्रिया: चर्चा जारी है
चिराग पासवान ने हाल ही में संकेत दिए थे कि पार्टी चाहती है वह सामान्य सीट से विधानसभा चुनाव लड़ें। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। “मेरे चुनाव लड़ने का प्रस्ताव पार्टी की ओर से आया है। यह देखा जा रहा है कि इससे पार्टी और गठबंधन को कितना फायदा होगा,” चिराग ने कहा। उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि बिहार में फिलहाल मुख्यमंत्री पद की कोई वेकेंसी नहीं है।
अरुण भारती का समर्थन: “सिर्फ दलितों के नहीं, पूरे बिहार के नेता हैं चिराग”
चिराग के जीजा और पार्टी के बिहार प्रभारी सह सांसद अरुण भारती ने भी चिराग के सामान्य सीट से चुनाव लड़ने की वकालत की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “चिराग अब केवल दलितों के नेता नहीं, बल्कि पूरे बिहार के नेता हैं। उन्हें जनरल सीट से चुनाव लड़ना चाहिए।” पटना और शेखपुरा में लगे पोस्टरों में भी चिराग को “बिहार का भविष्य” बताया गया है।
राजनीतिक रणनीति या चुनावी दबाव?
मीसा भारती का बयान एक रणनीतिक दबाव की तरह देखा जा रहा है ताकि चिराग पासवान को सीधे चुनावी अखाड़े में लाया जा सके। इससे आरजेडी की ओर से एक स्पष्ट संदेश भी जाता है कि वह एनडीए की लोकप्रिय चेहरों को चुनौती देने से पीछे नहीं हटेगी।
अगले कदम पर टिकी निगाहें
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चिराग पासवान मीसा की चुनौती का क्या जवाब देते हैं। क्या वह वाकई अपने संसदीय पद से इस्तीफा देकर विधानसभा की दौड़ में उतरेंगे? या यह सिर्फ एक चुनावी शिगूफा साबित होगा? बिहार की राजनीति में फिलहाल यह बहस नया मोड़ ले रही है।
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