जमुई: Nargis Bano: पहलगाम आतंकी हमले के बाद देशभर में सुरक्षा सतर्कता तेज हो गई है, और इसी पृष्ठभूमि में जमुई जिले के आढ़ा गांव में रह रहीं पाकिस्तान मूल की महिला नरगिस बानो अचानक चर्चा में आ गई हैं।
नरगिस बानो पिछले 28 वर्षों से लॉन्ग टर्म वीजा (LTV) पर भारत में रह रही हैं और चार बच्चों की मां बन चुकी हैं।
Nargis Bano: 1998 में हुआ था निकाह, नागरिकता के लिए दो बार किया आवेदन
जानकारी के अनुसार, नरगिस बानो का विवाह वर्ष 1998 में आढ़ा गांव के रहने वाले मोहम्मद गाजी से हुआ, जो सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं। नरगिस के माता-पिता मूलतः भारत के ही थे, जो विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए थे। नरगिस रिश्तेदारी के जरिए भारत लौटीं और यहीं बस गईं।
उन्होंने 2009 में पहली बार भारतीय नागरिकता के लिए मैनुअल आवेदन दिया था, जिसे तत्कालीन जिलाधिकारी का समर्थन भी मिला। बाद में 2016 में जब प्रक्रिया ऑनलाइन हुई, तो उन्होंने दोबारा आवेदन किया, लेकिन अब तक प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
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Nargis Bano Case: पहलगाम हमले के बाद सतर्कता बढ़ी, SP ने दिया स्पष्टीकरण
22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद देश में पाकिस्तान से जुड़े मामलों में सख्ती आई है। इसी के तहत नरगिस का मामला भी सुरक्षा एजेंसियों के संज्ञान में आया। हालांकि, जमुई के एसपी मदन कुमार आनंद ने स्पष्ट किया है कि नरगिस बानो के पास वैध लॉन्ग टर्म वीजा है और उनकी नागरिकता प्रक्रिया कानूनी दायरे में है। इसलिए फिलहाल किसी तरह की कार्रवाई का प्रश्न नहीं उठता।
भावुक हुए पति मोहम्मद गाजी: “अगर सरकार कहेगी तो पत्नी को भेज देंगे वापस”
मोहम्मद गाजी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “अगर सरकार को कोई आपत्ति होगी, तो हम खुद नरगिस को वापस भेज देंगे, लेकिन सवाल यह है कि चार बच्चों के आंसू कौन पोंछेगा?” उन्होंने आतंकवाद की निंदा करते हुए कहा कि “आतंकियों का कोई मजहब नहीं होता, और पहलगाम की घटना इंसानियत की हत्या है।”
प्रासंगिक सवाल
- क्या लॉन्ग टर्म वीजा धारकों की नागरिकता प्रक्रिया को और पारदर्शी और समयबद्ध बनाया जा सकता है?
- क्या आतंकी घटनाओं की आड़ में आम नागरिकों के मानवीय अधिकारों पर सवाल उठना उचित है?