Pakistan: हाल के दिनों में अमेरिका और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंधों में कुछ बढ़ोतरी देखी गई है, लेकिन पाकिस्तान ने हाल ही में एक ऐसा बयान दिया है, जिसने अमेरिका की नाराजगी बढ़ा दी है।
पाकिस्तान ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के शांतिपूर्ण उपयोग के अधिकार की खुले तौर पर वकालत की है। इस पर अमेरिका को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि अमेरिका ईरान के परमाणु विकास को लेकर बेहद सतर्क है।
Pakistan का बयान और ईरानी राष्ट्रपति का दौरा
ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के दो दिवसीय पाकिस्तान दौरे के दौरान, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि ईरान को परमाणु क्षमता हासिल करने का शांतिपूर्ण अधिकार है। मैं पूरी दृढ़ता से ईरान के साथ खड़ा हूं, उन्होंने कहा।
इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए आर्थिक और राजनीतिक मामले पर सहमति जताई, जिसमें व्यापार को आठ अरब डॉलर तक बढ़ाने की योजना भी शामिल है। व्यापार मंत्री दोनों देशों ने पारस्परिक सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा की।
Pakistan : अमेरिका और इजरायल की चिंताएँ
अमेरिका, जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम को एक रणनीतिक खतरा मानता है, इस समर्थन से चिंतित है। अमेरिका ने न केवल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमलों का समर्थन किया है, बल्कि पाकिस्तान को भी गैर-नाटो सहयोगी बनाया हुआ है ताकि वह क्षेत्र में अपनी रणनीति को मजबूत रख सके।
गाजा में इजरायली कार्रवाई पर भी पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से मानवाधिकार उल्लंघन के विरोध में सामने आने की अपील की है।
भू-राजनीतिक प्रभाव
पाकिस्तान की ये पहल ईरान के साथ उसके सम्बन्धों को और मजबूत करेगी, जिससे मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन में बदलाव आ सकता है। चीन और रूस इस ब्लॉक का समर्थन कर रहे हैं, जबकि अमेरिका के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है।
पाकिस्तान द्वारा ईरान के परमाणु अधिकार की खुले तौर पर हिमायत और गाजा में इजरायली कार्रवाइयों की आलोचना ने अमेरिका-इस्राइल-अरब समीकरणों को झकझोर दिया है। यह साफ संकेत है कि पाकिस्तान अब अपनी कूटनीति में एक संतुलित अथवा मल्टी-डायमेंशनल रणनीति अपना रहा है, जो अमेरिकी हितों के लिए सिरदर्द साबित हो सकती है।
यह भी पढ़े: Muzaffarpur में सड़क दुर्घटना में महिला की मौत, तेज़ रफ्तार अज्ञात वाहन ने मारी टक्कर