पटना/वैशाली: जन सुराज पार्टी के संस्थापक Prashant Kishor ने बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर गंभीर आरोप लगाते हुए एक नया सियासी मोर्चा खोल दिया है।
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उगाही मंत्री मंगल पांडे और सर्वदलीय नेता अशोक चौधरी से पीके के सवाल!! pic.twitter.com/Fzojch385j
— Jan Suraaj (@jansuraajonline) June 23, 2025
वैशाली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पीके ने दावा किया कि दिलीप जायसवाल जिस मेडिकल कॉलेज के क्लर्क थे, आज उसी के मालिक बने बैठे हैं। साथ ही आरोप लगाया कि उस कॉलेज से राजनीतिक दलों के 50 से अधिक नेताओं के बच्चों को मेडिकल डिग्री दिलवाई गई है।
Prashant Kishor का आरोप: कब्जा किया गया अल्पसंख्यक सिख कॉलेज
प्रशांत किशोर ने कहा,
“जिस कॉलेज पर आज दिलीप जायसवाल कब्जा जमाए बैठे हैं, वह बिहार में सिख समुदाय का एकमात्र अल्पसंख्यक मेडिकल कॉलेज है। इसकी स्थापना सरदार करतार सिंह ने की थी, जिनकी संदिग्ध परिस्थिति में मृत्यु हो गई। उसी कॉलेज में पहले दिलीप जायसवाल क्लर्क थे और आज खुद को मालिक घोषित किए बैठे हैं।”
पीके ने यह भी कहा कि कॉलेज की प्रबंधन समिति में शामिल होने के लिए नियमों को तोड़ा गया, और जायसवाल की सिख बहू को कॉलेज का इंचार्ज इसलिए बनाया गया ताकि माइनॉरिटी कॉलेज पर कानूनी पकड़ बनाई जा सके।
Prashant Kishor News: नेताओं के बच्चों को डॉक्टर बनवाने का दावा
प्रशांत किशोर का सबसे गंभीर आरोप यह रहा कि पिछले 25-30 वर्षों में तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं के बेटे-बेटियों को इसी कॉलेज से मेडिकल डिग्री दिलाई गई है। उन्होंने पूछा:
“कितने नेताओं के बच्चे वहां से डॉक्टर बने? कौन-कौन से दलों से जुड़े लोग लाभार्थी रहे?”
खुलासे की चेतावनी
प्रशांत किशोर ने दो टूक कहा कि अगर दिलीप जायसवाल उनके सवालों का जवाब नहीं देते हैं,
“तो मैं अगले कुछ दिनों में सारे दस्तावेजों के साथ बड़ा खुलासा करूंगा। जो कागज़ मेरे पास हैं, वह बताएंगे कि किस तरह से मेडिकल कॉलेज की ज़मीन, प्रबंधन और दाखिलों का राजनीतिक इस्तेमाल हुआ है।”
जायसवाल पर व्यक्तिगत हमला: “गलत बटन दबा दिया”
प्रशांत किशोर ने चेतावनी भरे लहजे में कहा,
“इस आदमी ने गलत बटन दबा दिया है। इनको लग रहा है कि इन्होने हमें डरा दिया है, लेकिन सच्चाई अब जनता के सामने आएगी।”
राजनीतिक हलचल तेज
इस बयान के बाद बिहार की सियासत में हलचल तेज हो गई है। विपक्ष जहां इसे भ्रष्टाचार और सत्ता का दुरुपयोग बता रहा है, वहीं बीजेपी की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वे इस मुद्दे को केवल बयानबाज़ी तक सीमित नहीं रखेंगे, बल्कि दस्तावेजों के साथ सार्वजनिक मंच पर लाएंगे। इससे न केवल बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, बल्कि बिहार की सियासी बिरादरी के कई नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या दिलीप जायसवाल इन आरोपों पर सफाई देते हैं, या फिर पीके की प्रेस कॉन्फ्रेंस बिहार की राजनीति में एक नया तूफान लाएगी।