नालंदा— जन सुराज पार्टी के संस्थापक Prashant Kishor को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पैतृक गांव कल्याण बिगहा में प्रवेश से रोकने पर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। इस घटनाक्रम के दौरान प्रशांत किशोर और स्थानीय प्रशासन के बीच तीखी बहस भी देखने को मिली।
Prashant Kishor News: क्या है मामला?
प्रशांत किशोर बुधवार को अपने जन संवाद यात्रा के तहत नालंदा पहुंचे थे और उन्होंने बिहार शरीफ के श्रम कल्याण मैदान में सभा आयोजित करने की अनुमति ली थी। लेकिन वे कथित तौर पर उस स्थल से इतर स्थानों पर भी जन संवाद और सभाएं करने की कोशिश कर रहे थे, जिनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गांव कल्याण बिगहा भी शामिल है।
प्रशासन ने उन्हें गांव में प्रवेश से रोक दिया, जिस पर पीके ने विरोध जताया। उन्होंने कहा, “प्रशासन ने मुझे पहले नहीं रोका, अब कह रहे हैं कि ऊपर से आदेश है कि मैं कल्याण बिगहा नहीं जा सकता। लोग मुझे भ्रष्टाचार की शिकायतें दे रहे हैं और कह रहे हैं कि योजनाओं का लाभ नहीं मिला।”
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प्रशासन की सफाई
नालंदा जिला प्रशासन ने एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि जन सुराज पार्टी को केवल श्रम कल्याण मैदान में सभा की अनुमति दी गई थी, लेकिन पार्टी ने अनुमति स्थल का पालन नहीं किया और अन्य स्थानों पर सभा की कोशिश की, जिससे कानून-व्यवस्था पर संकट खड़ा हो सकता था।
प्रशासन ने आगे कहा, “स्थानीय लोगों से सूचना मिलने के बाद प्रशासन ने कानूनी कार्रवाई की। प्रारंभिक जांच से प्रतीत होता है कि जन सुराज पार्टी द्वारा जानबूझकर स्थिति को अस्थिर करने की कोशिश की गई। पूरे मामले की जांच की जा रही है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
Prashant Kishor का पलटवार
प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि यह एक राजनीतिक दबाव की कार्रवाई है। उन्होंने कहा, “नीतीश जी ने कल्याण बिगहा में अच्छी सड़कें बनाई हैं, यह पूरे बिहार में होना चाहिए। लेकिन मुझे लगता है कि राज्य में अधिकारियों द्वारा ‘जंगल राज’ चलाया जा रहा है। यह एक नई परंपरा है, दो दिन पहले राहुल गांधी के साथ भी ऐसा हुआ। मुझे नहीं लगता कि नीतीश जी ऐसे आदेश देंगे।”
राजनीतिक सरगर्मी
घटना ने बिहार की राजनीति में गर्मी ला दी है। कुछ विपक्षी दल इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं, वहीं प्रशासन इसे नियमों का उल्लंघन और कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ करार दे रहा है।
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