Nepal Social Media Ban: नेपाल में हाल ही में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन ने सरकार को हिलाकर रख दिया है। कहने को तो यह प्रदर्शन सोशल मीडिया पर लगे प्रतिबंध के खिलाफ है, लेकिन इसकी जड़ें कहीं और गहरी हैं।
#WATCH | Nepal: People in Kathmandu stage a massive protest against the government over alleged corruption and the recent ban on social media platforms, including Facebook, Instagram, WhatsApp and others.
At least 18 people have died and more than 250 people have been injured… pic.twitter.com/zz0mLm5VQ6
— ANI (@ANI) September 8, 2025
इस आंदोलन ने न सिर्फ सरकार में उथल-पुथल मचाई है, बल्कि यह भी दिखाया है कि प्रतिबंधों के बावजूद लोग कैसे एकजुट हो सकते हैं।
Nepal Social Media Ban के बावजूद कैसे जुटे लोग?
यह सवाल हर किसी के मन में है कि जब नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा था, तो इतनी बड़ी भीड़ कैसे जुट गई। इसका जवाब चौंकाने वाला है: टिकटॉक और वीपीएन।
- टिकटॉक का इस्तेमाल: सरकार ने अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को तो ब्लॉक कर दिया था, लेकिन टिकटॉक इस प्रतिबंध से अछूता रहा। प्रदर्शनकारियों ने इसका फायदा उठाते हुए टिकटॉक पर वीडियो और संदेशों के माध्यम से लोगों तक अपनी बात पहुंचाई।
- वीपीएन का हथियार: इसके अलावा, प्रदर्शनकारियों ने वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (वीपीएन) का भी इस्तेमाल किया, जिससे वे सरकार के प्रतिबंधों को दरकिनार कर अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी अपनी बात रख सके।
गुस्से की असली वजह: ‘नेपो किड्स’ और भ्रष्टाचार
यह गुस्सा सिर्फ सोशल मीडिया पर बैन का नतीजा नहीं है। इसके पीछे एक और बड़ा कारण है, जिसे ‘नेपो किड्स’ ट्रेंड ने हवा दी। इस ट्रेंड के तहत, नेताओं के बच्चों की महंगी और आरामदायक लाइफस्टाइल वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही थीं। इसने nepotism (भाई-भतीजावाद) और बड़े पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता के गुस्से को भड़का दिया। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध ने इस आग में घी का काम किया, और युवाओं ने इसे अपनी आवाज दबाने की कोशिश के रूप में देखा। इस तरह, एक हैशटैग से शुरू हुआ आंदोलन सरकार के खिलाफ एक पूर्ण-स्तरीय विरोध प्रदर्शन में बदल गया।
श्रीलंका और बांग्लादेश से मिली प्रेरणा
इस आंदोलन के पीछे की प्रेरणा श्रीलंका और बांग्लादेश में हाल ही में हुए सरकार-विरोधी प्रदर्शन हैं। नेपाल के एक प्रदर्शनकारी ने बताया कि ‘नेपो किड्स’ का ट्रेंड फिलिपींस से आया था, जिसमें राजनेताओं के बच्चों के लग्जरी जीवन को दिखाया गया था।
इस आंदोलन का औपचारिक नेतृत्व ‘हामी नेपाल’ नामक एक युवा संगठन कर रहा है, जिसकी शुरुआत 2015 में हुई थी। पोखरा यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर योग राज लमिछाने के अनुसार, यह विरोध प्रदर्शन युवाओं के गुस्से और सरकार के प्रति उनके अविश्वास का नतीजा है। सोशल मीडिया पर प्रतिबंध ने तो सिर्फ इसे और बड़ा बना दिया।