बिहार में नेता प्रतिपक्ष Tejashwi Yadav के वोटर लिस्ट में नाम ना होने के दावे के बाद चुनाव आयोग ने उनके इस दावे को गलत और भ्रामक बताया था, जबकि आयोग ने प्रमाण सहित उनका नाम मतदाता सूची में होने की पुष्टि की। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तेजस्वी यादव पर दो या उससे अधिक वोटर कार्ड रखने का गंभीर आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से व्यापक जांच की मांग की है।
Tejashwi Yadav News: भाजपा का दावा और जांच की मांग
भाजपा के प्रवक्ता नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि उनके पास दो या उससे अधिक मतदाता पहचान पत्र (वोटर कार्ड) हैं, जिससे वे बिहार की जनता को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यह मामला गंभीर अपराध है और इसके तहत धारा 171 एफ आईपीसी सहित अन्य कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। भाजपा ने आरोप लगाया कि आरजेडी कार्यालय से नकली वोटर आई कार्ड भी बनाए जा रहे हैं, जिस पर भी जांच होनी चाहिए।
Tejashwi Yadav News: भाजपा नेता निखिल आनंद का तंज
भाजपा नेता निखिल आनंद ने ट्विटर के माध्यम से तेजस्वी यादव को तंज करते हुए कहा, “प्रिय भाई तेजस्वी यादव! अगर आपका नाम मतदाता सूची में नहीं है तो चिंता मत कीजिए, हमें आपका नाम मतदाता सूची में मिल गया है। अब बेफिक्र होकर चुनाव लड़िए।” यह बयान भाजपा की तीखी राजनीति को दर्शाता है।
चुनाव आयोग की भूमिका
चुनाव आयोग ने तेजस्वी यादव के दो वोटर आईडी कार्ड की जांच शुरू कर दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तेजस्वी ने जो EPIC नंबर (RAB 2916120) सार्वजनिक किया था, वह किसी भी आधिकारिक मतदाता सूची या ड्राफ्ट रोल में मौजूद नहीं है, इसलिए आयोग इसे फर्जी दस्तावेज मान रहा है। इस आधार पर आयोग ने इस मामले की तफ्तीश जारी रखी है।
Tejashwi Yadav का विवादित मामला
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तेजस्वी यादव ने पहले दावा किया था कि उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया है।
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चुनाव आयोग ने उनके दावा को सिरे से खारिज करते हुए प्रमाण के साथ बताया कि उनका नाम मतदाता सूची में क्रमांक 416 पर दर्ज है।
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इस मामले ने चुनावी राजनीति में नए गतिरोध को जन्म दिया है, जहां भाजपा ने नए आरोप लगाकर तेजस्वी पर चुनावी फ्रॉड के गंभीर आरोप लगाए हैं।
दो मतदाता पहचान पत्र रखने के आरोप ने तेजस्वी यादव के खिलाफ राजनीतिक विवाद को और बढ़ा दिया है। चुनाव आयोग की जांच और भाजपा की चेतावनी ने मामला तूल पकड़ लिया है। इस पर आगे की कानूनी कार्रवाई और राजनीतिक हलचल होने की पूरी संभावना है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर यह मामला एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे के रूप में उभरा है।
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