पटना/नवादा: Tejashwi Yadav: बिहार की सियासत में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति तेज होती जा रही है। इसी बीच राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने नवादा सीट पर एक बड़ा राजनीतिक दांव खेला है।
तेजस्वी यादव ने नवादा में आरजेडी के विवादित पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव की भरपाई के लिए तीन प्रभावशाली नेताओं की एंट्री तय कर दी है।
जदयू के पूर्व विधायक कौशल यादव, पूर्व विधायक पूर्णिमा यादव और पूर्व एमएलसी सलमान रागीव अब जल्द ही आरजेडी में शामिल होने वाले हैं। इस खबर की पुष्टि पार्टी प्रवक्ता शक्ति यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिए की।
Tejashwi Yadav: राजबल्लभ की जगह भरने की कवायद
नवादा से कभी बाहुबली नेता माने जाने वाले राजबल्लभ यादव 2016 में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में दोषी करार दिए गए थे और फिलहाल उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। हालांकि वे इन दिनों 15 दिन की पैरोल पर बाहर हैं।
आरजेडी लंबे समय से इस सीट पर उनके विकल्प की तलाश में थी और अब तेजस्वी ने एक ही झटके में तीन बड़े नामों को पार्टी से जोड़ कर राजबल्लभ की ‘राजनीतिक विरासत’ का विकल्प खड़ा कर दिया है।
Tejashwi Yadav: नवादा की राजनीति में समीकरण बदलेंगे
इन तीनों नेताओं की आरजेडी में एंट्री से नवादा की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है:
- कौशल यादव: जदयू से विधायक रह चुके हैं।
- पूर्णिमा यादव: तीन बार नवादा से विधायक रही हैं, एक बार जदयू से और दो बार निर्दलीय।
- सलमान रागीव: जदयू के पूर्व एमएलसी और नवादा जिले में मुस्लिम मतदाताओं के बीच प्रभावशाली चेहरा।
इन नेताओं के आरजेडी में आने से जदयू को नवादा में बड़ा नुकसान हो सकता है, खासकर जब ये नेता इलाके में जमीनी पकड़ रखते हैं।
9 जुलाई को तेजस्वी की सभा में होगा शक्ति प्रदर्शन
राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने जानकारी दी कि 9 जुलाई को नवादा के आईटीआई मैदान में तेजस्वी यादव की सभा आयोजित होगी, जिसमें तीनों नेता औपचारिक रूप से आरजेडी में शामिल होंगे। यह सभा नवादा में महागठबंधन की शक्ति प्रदर्शन का बड़ा मंच साबित हो सकती है।
राजबल्लभ से पहले की राजनीतिक स्थिति
- 2020 में नवादा से आरजेडी की विभा देवी ने जीत दर्ज की थी।
- 2015 में राजबल्लभ यादव ने आरएलएसपी के इंद्रदेव को हराया था।
- सजा के बाद हुए उपचुनाव में जदयू के कौशल यादव विधायक बने।
- पूर्णिमा यादव ने 2005 (फरवरी और अक्टूबर) और 2010 में जीत हासिल की थी।
तेजस्वी यादव का यह कदम स्पष्ट रूप से यह दिखाता है कि वे राजबल्लभ यादव की छवि और सियासी विरासत के बोझ से आरजेडी को निकालना चाहते हैं, साथ ही नवादा में जमीनी नेताओं को साथ जोड़कर गठबंधन को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
जदयू के लिए यह एक सियासी झटका है, जबकि आरजेडी के लिए चुनावी बढ़त की दिशा में अहम कदम। आने वाले दिनों में नवादा की राजनीति और भी दिलचस्प हो सकती है।