Patna: बिहार में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में डोमिसाइल (स्थानीय निवास) नीति लागू करने के नीतीश सरकार के फैसले पर नेता प्रतिपक्ष Tejashwi Yadav ने तीखा तंज कसते हुए इसे विपक्ष के “डर” का परिणाम बताया।
अपार प्रसन्नता का विषय है कि वैचारिक रूप से दिवालिया NDA सरकार बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करने की हमारी माँग को एकदम सिरे से खारिज करती थी, सदन में किसी भी सूरत में डोमिसाइल नीति लागू नहीं करने का दंभ भरती थी अब वही लोग हमारी अन्य योजनाओं की भाँति इस घोषणा की भी नकल कर रहे है।… pic.twitter.com/Tu1kTfqOtY
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) August 4, 2025
उन्होंने कहा कि 20 सालों की ‘थकी-हारी’ एनडीए सरकार चुनावी वर्ष में उनकी और विपक्ष की हर घोषणा, योजना व मांग की नकल कर रही है।
क्या बोले Tejashwi Yadav?
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तेजस्वी यादव ने ट्वीट में लिखा—”अपार प्रसन्नता का विषय है कि वैचारिक रूप से दिवालिया NDA सरकार बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करने की हमारी माँग को एकदम सिरे से खारिज करती थी। सदन में किसी भी सूरत में डोमिसाइल नीति लागू न करने का दम भरती थी। अब वही लोग हमारी योजनाओं की भाँति इस घोषणा की भी नकल कर रहे हैं।”
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उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की अपनी कोई नीति, दृष्टि या विजन नहीं है।
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तेजस्वी ने आगे कहा—”20 वर्षों की इस नकलची एनडीए सरकार को तय ही नहीं था कि क्या करना चाहिए, आज वही हमारे इशारों, मांगों पर नाचती नजर आ रही है।”
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उदाहरण देते हुए तेजस्वी ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा पेंशन, बिजली की फ्री यूनिट, सरकारी नौकरी, रसोइयों, रात्रि प्रहरियों, स्वास्थ्य अनुदेशकों के मानदेय में वृद्धि, युवा आयोग और एक करोड़ रोज़गार—इन सभी मुद्दों पर भी सरकार ने विपक्ष की घोषणाओं की नकल की है।
Tejashwi Yadav: डोमिसाइल नीति को लेकर सियासी सरगर्मी
डोमिसाइल (स्थायी निवासी) नीति की मांग बिहार में लंबे समय से उठाई जा रही थी। अब नीतीश सरकार के फैसले के बाद राज्य के लोगों को शिक्षक बहाली में प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन मुख्य विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने इसे सिरे से चुनावी ‘कॉपीकैट पॉलिटिक्स’ करार देते हुए सरकार की नीयत और तैयारी दोनों पर सवाल खड़े किए हैं।
चुनाव के साल शिक्षक बहाली में डोमिसाइल नीति लागू करने के नीतीश सरकार के फैसले को विपक्ष न केवल अपनी जीत बता रहा है, बल्कि नीतीश सरकार को नकलची, दिशाहीन और विपक्ष के बढ़ते दबाव के आगे झुकने वाली सरकार बता रहा है। शिक्षक भर्ती, पेंशन, रोजगार समेत तमाम कड़ी सियासी जंग चुनावी मौसम को और तेज कर रही है।
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