Tejashwi Yadav: बिहार में चल रहे मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। जहां एक ओर महागठबंधन इस प्रक्रिया की टाइमिंग पर सवाल उठा रहा है, वहीं दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव खुद निजी परेशानी से भी जूझते दिखे।
आज इंडिया गठबंधन के सभी दलों ने बिहार के चुनाव आयुक्त से मुलाकात की। इसमें हमने चुनाव आयोग से पूछा कि “क्या बिहार विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण कार्यक्रम 2025 के तहत मतदाता सूची में नाम जोड़वाने के लिए भारतीय निर्वाचन आयोग को केवल 11 दस्तावेज मांगने का ही अधिकार है? इसका संवैधानिक…
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) July 4, 2025
तेजस्वी ने बताया कि उनकी पत्नी राजश्री यादव, जो दिल्ली की रहने वाली हैं, ने हाल ही में आधार कार्ड के जरिए बिहार में वोटर कार्ड बनवाया था। लेकिन अब उन्हें आशंका है कि इस प्रक्रिया में उनका नाम वोटर लिस्ट से हट सकता है।
“हमको भी सोचना पड़ रहा है कि कौन सा डॉक्यूमेंट चलेगा”: Tejashwi Yadav
तेजस्वी यादव ने कहा,
“हमारी धर्मपत्नी दिल्ली की रहने वाली हैं। दो-तीन महीने पहले हमने उनका वोटर आईडी बनवाया था। आधार कार्ड के ज़रिए नाम जुड़ा, लेकिन अब वो ही दस्तावेज़ मान्य नहीं माना जा रहा। ऐसे में अब हमें नया डॉक्यूमेंट बनवाना पड़ेगा।”
उन्होंने आगे कहा कि उनकी पत्नी के सभी पते बिहार के बाहर के हैं, जिससे दस्तावेजों की स्वीकृति को लेकर असमंजस बना हुआ है।
चुनाव आयोग से की शिकायत, ज्ञापन सौंपा गया
4 जुलाई को पटना में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला और इस प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने गांव और गरीब तबके के मतदाताओं के लिए प्रक्रिया को आसान बनाने और अन्य सरकारी दस्तावेजों (राशन कार्ड, जॉब कार्ड आदि) को भी मान्य बनाने की मांग की।
तेजस्वी ने पूछा:
“क्या आयोग को केवल 11 दस्तावेजों की मांग का ही अधिकार है? संविधान का अनुच्छेद 326 वयस्क मताधिकार की गारंटी देता है। क्या आधार और मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेज अमान्य हैं?”
“यह गरीबों के लिए आर्थिक बोझ”: तेजस्वी
तेजस्वी यादव ने मतदाता सूची सत्यापन प्रक्रिया को गरीबों पर वित्तीय बोझ बताते हुए कहा कि मतदाता को रंगीन फोटो, सफेद बैकग्राउंड और दस्तावेज़ की फोटो कॉपी की ज़रूरत है। उन्होंने पूछा कि क्या हर परिवार के पास यह सब सुविधा उपलब्ध है?
गोपाल खेमका हत्याकांड: पुलिस पर देरी का आरोप
पटना के व्यापारी गोपाल खेमका की हत्या के मामले में पुलिस पर देरी से पहुंचने के आरोप लगे हैं। परिवार का दावा है कि पुलिस डेढ़ घंटे बाद घटनास्थल पर पहुंची। इस पर डीजीपी विनय कुमार ने बयान दिया कि गोली चलने के बाद परिवार पहले अस्पताल गया और फिर पुलिस को सूचना दी गई, इसलिए पुलिस पर देरी का आरोप तथ्यात्मक नहीं है।