झारखंड में जनजातीय समाज की बहुप्रतीक्षित मांग सरना/आदिवासी धर्म कोड को लेकर अब सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने अपना रुख और सख्त कर लिया है।
रघुवर दास बताएं – उनके समय में क्यों नहीं बनी पेसा नियमावली ?
पेसा को लेकर आदिवासी समाज को गुमराह कर रही भाजपा।
◆ भाजपा और रघुवर दास आदिवासी समाज के मुद्दों को लेकर केवल राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं, न कि समाधान देना। रघुवर दास को पेसा कानून की याद अब आ रही है, जबकि उनके पूरे… pic.twitter.com/2asSelKKAo
— Vinod Kumar Pandey (@VinodPandeyJMM) May 28, 2025
पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं दी जाती, तब तक राज्य में जातिगत जनगणना नहीं होने दी जाएगी।
JMM News: राज्यव्यापी धरना, राष्ट्रपति को ज्ञापन
मंगलवार को झामुमो की ओर से राज्यव्यापी धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया गया, जिसमें सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध जताया गया। पार्टी नेताओं ने राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन उपायुक्तों के माध्यम से भेजा, जिसमें सरना धर्म कोड को जनगणना में शामिल करने की मांग की गई है।
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रांची में हुए मुख्य कार्यक्रम में पार्टी के केंद्रीय महासचिव सह प्रवक्ता विनोद कुमार पांडेय ने कहा:
“जब तक सरना/आदिवासी धर्म कोड लागू नहीं होगा, तब तक इस राज्य में जनगणना नहीं होने देंगे। यह झारखंड की अस्मिता और अस्तित्व का सवाल है।”
JMM News: विधानसभा से पास, अब भी लंबित है प्रस्ताव
JMM नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 11 नवंबर 2020 को झारखंड विधानसभा में विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड प्रस्ताव पास कर केंद्र को भेजा गया था, लेकिन पांच वर्षों बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र सरकार की मंशा साफ नहीं है। भाजपा नहीं चाहती कि आदिवासियों को धार्मिक पहचान मिले,” – विनोद पांडेय
आज अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है: JMM विकास सिंह मुंडा
तमाड़ विधायक विकास सिंह मुंडा ने कहा कि सरना धर्म कोड की मांग सिर्फ झारखंड की नहीं, बल्कि पूरे देश के आदिवासी समाज की है।
“हम अलग राज्य लड़कर पा सकते हैं, तो धर्म कोड भी लेकर रहेंगे। आज यह अंगड़ाई है, आगे और बड़ी लड़ाई है।”
इसी तरह झामुमो प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने इसे आदिवासियों के अधिकारों पर हमले के खिलाफ प्रतिरोध बताया:
“आदिवासी इस देश के पहले मालिक हैं। यदि जल-जंगल-जमीन को बचाना है, तो सरना धर्म कोड को मान्यता देना ज़रूरी है।”
धरना में दिखा संगठन का दम
रांची में हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला संयोजक प्रमुख मुस्ताक आलम ने की। धरने में केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय, सिल्ली विधायक अमित महतो, जिला संयोजक मंडली के सदस्य, पंचायत स्तर के नेता और सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल हुए।
पृष्ठभूमि: क्या है सरना धर्म कोड की मांग?
- सरना धर्म आदिवासी समाज की परंपरागत आस्था है, जिसमें प्रकृति पूजा को केंद्रीय स्थान प्राप्त है।
- वर्तमान में जनगणना फॉर्म में आदिवासियों को स्वतंत्र धर्म की मान्यता नहीं है — वे हिंदू या अन्य धर्मों में दर्ज होते हैं।
- सरना कोड की मान्यता मिलने पर जनजातीय समाज को धार्मिक आधार पर स्वतंत्र पहचान मिलेगी।
झामुमो का स्पष्ट संदेश है कि बिना सरना कोड, जनगणना नहीं। पार्टी इस मांग को लेकर दिल्ली तक आंदोलन की चेतावनी दे चुकी है। राज्य में विधानसभा में प्रस्ताव पारित होने के बाद भी केंद्र की चुप्पी को लेकर राजनीतिक टकराव तेज़ हो सकता है, जिसका असर आगामी चुनावों पर भी दिख सकता है।
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