Bihar-Jharkhand सीमा पर 25 साल बाद होगा मतदान

Ranchi: Bihar-Jharkhand की सीमा पर स्थित बसकटबा, पतवास और चोढ़ी गांव के लोग 25 साल बाद अपने गांव के बूथ पर मतदान करने जा रहे हैं.

Jharkhand News: लोग इस नई पहल को बड़े उत्साह और निष्ठा के साथ स्वागत कर रहे हैं

इन गांवों के लोगों को पहले दूसरे गांवों के बूथ पर जाकर वोट देना पड़ता था, लेकिन नक्सलियों के दबाव के बावजूद वे इस बार अपने गांव में ही मतदान करने का निर्णय लिया है. इन बूथों पर सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है ताकि लोग निर्भीकता से मतदान कर सकें. यहां के लोग इस नई पहल को बड़े उत्साह और निष्ठा के साथ स्वागत कर रहे हैं.

Jharkhand: 2001 में इन गांवों के मतदान केंद्रों को दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित किया गया

सीमा पर स्थित बसकटबा, पतवास और चोढ़ी गांव गहरे नक्सल प्रभाव के अधीन हैं. यहां परिस्थितियां इतनी अस्थायी हैं कि वर्ष 2001 में इन गांवों के मतदान केंद्रों को दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित किया गया था. बसकटबा और पतवास के मतदान केंद्र को अलखड़ीहा और गुरपा में, और चोढ़ी के मतदान केंद्र को दुन्दु में स्थानांतरित किया गया था. इसके परिणामस्वरूप इन गांवों के निवासियों को मतदान के लिए अलखड़ीहा, गुरपा और दुन्दु जाना पड़ता है.

पहले ये गांव गुरपा मध्य विद्यालय के पास मतदान के लिए जाते थे. यह यात्रा 4 से 6 किलोमीटर की दूरी पर होती थी जिससे मतदाताओं को काफी परेशानी होती थी. इस बार अपने ही गांव में मतदान करने की सुविधा से गांव के निवासी बहुत उत्साहित हैं.

इन गांवों में वोटर 25 साल बाद मतदान करेंगे

बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित इन गांवों में वोटर 25 साल बाद मतदान करेंगे. क्योंकि बिहार-झारखंड सीमा पर स्थित जंगलों-पहाड़ों में बसे बसकटबा, पतवास और चोढ़ी गांव गंभीर नक्सल प्रभावित हैं. इस वजह से यहां के बूथ दूसरे गांवों में शिफ्ट कर दिए गए.

नक्सलियों द्वारा चुनाव में वोट देने से असमर्थ कराने के फरमान जारी किए गए थे

बसकटवा और पतवास गांव के निवासी बताते हैं कि 25 वर्ष पूर्व उनके गांवों में नक्सली असर था. नक्सलियों द्वारा चुनाव में वोट देने से असमर्थ कराने के फरमान जारी किए गए थे. फिर भी, वे 4 से 6 किलोमीटर दूरी तय कर वोट देने चले जाते थे. गांव के लोगों को यह मलाल है कि वे हमेशा बराबर वोट करते हैं, फिर भी उनके गांव का विकास नहीं हुआ है. कोई भी नेता उनके गांव के विकास के प्रति ध्यान नहीं देता है.

उनके गांव में आज भी पानी की घोर समस्या है. नल-जल से भी उन्हें पानी नहीं मिलता है. यहां की समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं, लेकिन किसी ने भी इन समस्याओं का समाधान नहीं किया है.

यह भी पढ़े: झारखंड में भाजपा को मिला झटका, Girinath Singh ने छोड़ी पार्टी

powered by Advanced iFrame. Get the Pro version on CodeCanyon.