Jharkhand के किसान क्यों बर्बाद कर रहे हैं अपनी सब्जी की फसल? जानें चौंकाने वाली वजह

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Jharkhand में किसानों की एक अनोखी और चौंकाने वाली स्थिति सामने आई है। राज्य के कई हिस्सों में किसान अपनी मेहनत से उगाई गई सब्जियों की फसल को खुद ही नष्ट कर रहे हैं।

यह खबर सुनकर हर कोई हैरान है, क्योंकि ऐसा कदम किसी भी किसान के लिए न केवल आर्थिक नुकसानदायक है, बल्कि उनकी मेहनत पर भी पानी फेरने जैसा है। लेकिन जब इस अप्रत्याशित स्थिति की वजह सामने आई, तो हर किसी को झटका लगा।

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Jharkhand News: क्या है फसल बर्बाद करने की वजह?

सब्जी उत्पादक किसानों का कहना है कि उन्हें अपनी फसल के लिए उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। मंडियों में सब्जियों के दाम इतने कम हो गए हैं कि फसल को तोड़कर बेचने की लागत भी पूरी नहीं हो रही है। ऐसे में किसानों के पास अपनी फसल को नष्ट करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

1. बाजार में गिरते दाम

झारखंड की स्थानीय मंडियों में सब्जियों के दाम इतने नीचे गिर गए हैं कि किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर:

  • टमाटर की कीमत मंडी में 1 से 2 रुपये प्रति किलो तक गिर गई है।
  • लौकी, भिंडी और अन्य सब्जियों के दाम भी बेहद कम हो गए हैं।

2. परिवहन का खर्च बढ़ा

किसानों का कहना है कि सब्जियों को तोड़कर मंडी तक पहुंचाने में जितना खर्च आता है, उतना भी मुनाफा नहीं हो रहा है। ऐसे में वे फसल को खेतों में ही छोड़ने या नष्ट करने को मजबूर हैं।

3. बिचौलियों का प्रभाव

मंडियों में बिचौलियों का बड़ा प्रभाव है, जो किसानों से सस्ती दर पर सब्जियां खरीदते हैं और बाजार में ऊंचे दाम पर बेचते हैं। इसका नुकसान सीधे किसानों को उठाना पड़ता है।

4. खराब मौसम और फसल की अधिकता

इस साल झारखंड के कई हिस्सों में मौसम अनुकूल रहा, जिससे सब्जियों की पैदावार अधिक हुई। फसल की अधिकता के कारण बाजार में दाम और गिर गए।

Jharkhand News: किसानों की दर्द भरी स्थिति

किसानों का कहना है कि वे दिन-रात मेहनत करके फसल उगाते हैं, लेकिन जब उसे बेचने का समय आता है, तो दाम इतने कम मिलते हैं कि उनकी सारी मेहनत बेकार हो जाती है। इस स्थिति में उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है।

किसानों की समस्याएं:

  1. कर्ज का बोझ: फसल बर्बाद होने या कम दाम मिलने के कारण किसान कर्ज के जाल में फंस रहे हैं।
  2. खाद और बीज की महंगाई: खेती के लिए जरूरी सामग्री के दाम बढ़ गए हैं, लेकिन फसल का मूल्य घट गया है।
  3. भविष्य की अनिश्चितता: ऐसी स्थिति में किसान अगले सीजन के लिए खेती करने को लेकर असमंजस में हैं।

सरकार और प्रशासन की भूमिका

किसानों का आरोप है कि सरकार ने उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का अभाव और मंडी व्यवस्था की कमजोरियां किसानों की समस्याओं को और बढ़ा रही हैं।

क्या कर सकती है सरकार?

  1. न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करना: सब्जियों के लिए भी न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाना चाहिए, ताकि किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य मिले।
  2. सीधी खरीद की व्यवस्था: किसानों से सीधे फसल खरीदने की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि बिचौलियों का प्रभाव कम हो।
  3. प्रसंस्करण और भंडारण: फसलों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए कोल्ड स्टोरेज और प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जानी चाहिए।
  4. ट्रांसपोर्ट सब्सिडी: किसानों को अपनी फसल मंडियों तक पहुंचाने के लिए आर्थिक सहायता मिलनी चाहिए।

किसानों की अपील

किसानों ने सरकार और प्रशासन से गुहार लगाई है कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जाए। वे चाहते हैं कि कृषि के क्षेत्र में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि वे अपनी मेहनत का सही फल पा सकें।

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