जिस “मंईयां” ने दिलाई जीत, Hemant Soren ने उन्हें महिला विकास मंत्री क्यों नहीं बनाया?

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झारखंड के मुख्यमंत्री Hemant Soren की सरकार को सत्ता में लाने में आदिवासी महिलाओं और जमीनी स्तर की कार्यकर्ताओं की भूमिका को अक्सर निर्णायक बताया जाता है।

इनमें से “मंईयां” नाम की महिला का नाम हाल ही में चर्चा में आया है। सवाल उठ रहे हैं कि जिसने चुनावी जीत में अहम भूमिका निभाई, उसे महिला विकास मंत्री जैसे अहम पद पर क्यों नहीं बिठाया गया?

मंईयां की भूमिका

मंईयां ने चुनाव प्रचार के दौरान न सिर्फ अपने समुदाय को संगठित किया बल्कि महिलाओं को जोड़कर सोरेन सरकार के समर्थन में बड़ी संख्या में वोट दिलाने में मदद की। उनकी मेहनत और प्रभाव का नतीजा यह हुआ कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) गठबंधन ने कई आदिवासी बहुल इलाकों में शानदार जीत दर्ज की।

महिला नेतृत्व की उपेक्षा?

मंईयां जैसे जमीनी स्तर के नेताओं को सत्ता में उचित प्रतिनिधित्व न देने पर आलोचना भी हो रही है। महिला विकास मंत्रालय जैसे विभाग का नेतृत्व ऐसे किसी व्यक्ति को सौंपा जाना चाहिए था, जो महिलाओं के मुद्दों और उनकी समस्याओं को गहराई से समझ सके। लेकिन इसे लेकर हेमंत सोरेन की चुप्पी और उनके कैबिनेट में ऐसे चेहरों की कमी पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

राजनीतिक समीकरणों का दबाव

कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मंईयां को मंत्री न बनाने के पीछे गठबंधन के अंदरूनी समीकरण हो सकते हैं। सरकार को चलाने के लिए अन्य दलों और नेताओं को संतुष्ट करना शायद प्राथमिकता बन गया। लेकिन इस फैसले से यह संदेश गया कि जमीनी स्तर पर काम करने वालों की मेहनत को पर्याप्त मान्यता नहीं दी जाती।

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महिलाओं की उम्मीदें और नेतृत्व

झारखंड की महिलाएं, विशेष रूप से आदिवासी समुदाय, मंईयां जैसे नेता को महिला विकास मंत्री के रूप में देखना चाहती थीं। उनका मानना है कि मंईयां जैसे नेता उनके मुद्दों—जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार—को बेहतर तरीके से समझ और हल कर सकते थे।

Hemant Soren के लिए चुनौती

अब यह हेमंत सोरेन पर निर्भर करता है कि वह इस नाराजगी को कैसे दूर करेंगे। क्या वह मंईयां और अन्य जमीनी नेताओं को कोई अन्य महत्वपूर्ण भूमिका देकर संतुलन बनाएंगे, या यह मुद्दा उनकी सरकार की आलोचना का केंद्र बनेगा? मंईयां जैसे नेताओं की भूमिका को नजरअंदाज करना न केवल एक नेता के प्रति अन्याय है, बल्कि यह उन महिलाओं की उम्मीदों पर भी पानी फेरता है, जिन्होंने झारखंड के विकास में योगदान देने का सपना देखा था। हेमंत सोरेन को इस मुद्दे पर विचार कर महिला नेतृत्व को सशक्त बनाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है।

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