Nitish Kumar जनता दल यूनाइटेड के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री Nitish Kumar ने 2024 के आम चुनाव से पहले विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन को छोड़कर भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल होने का फैसला किया.
इस निर्णय के पीछे के कारणों पर हाल ही में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने अपने विचार साझा किए हैं.
Nitish Kumar का ‘भय’ और दीपांकर भट्टाचार्य की प्रतिक्रिया
दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि नीतीश कुमार ने संभवतः राम मंदिर मुद्दे से भाजपा के पक्ष में एक लहर की आशंका के चलते ‘इंडिया’ गठबंधन छोड़ा. उनका मानना था कि यह मुद्दा भाजपा को मजबूत कर सकता है और इससे विपक्ष को नुकसान हो सकता है. लेकिन भट्टाचार्य के अनुसार यह ‘भय’ व्यर्थ साबित हुआ खासकर उत्तर प्रदेश के लोकसभा चुनाव परिणामों को देखने के बाद.
इंडिया’ गठबंधन और जदयू की स्थिति
नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वामपंथी दलों के महागठबंधन का हिस्सा थी और ‘इंडिया’ गठबंधन की एक घटक थी. इस गठबंधन का उद्देश्य 2024 के आम चुनावों में भाजपा का मुकाबला करना था. हालांकि चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए अपनी पार्टी को ‘इंडिया’ गठबंधन से अलग कर लिया और राजग में शामिल हो गए.
राजनीतिक समीकरण और आगामी चुनाव
नीतीश कुमार के इस कदम ने बिहार की राजनीति में एक नई दिशा दी है. यह फैसला आने वाले चुनावों में किस तरह के परिणाम देगा यह देखना बाकी है. भट्टाचार्य के अनुसार, नीतीश का भाजपा के पक्ष में राम मंदिर मुद्दे से डरना गलत साबित हुआ लेकिन नीतीश के इस कदम का बिहार की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह भविष्य ही बताएगा.
नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन पर विवाद
हाल ही में बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन के अवसर पर एक दिलचस्प घटना घटी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच एक अनोखा संवाद देखने को मिला. इस अवसर पर नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री के पैर छूकर आशीर्वाद लिया लेकिन इसके पीछे की कहानी और भी दिलचस्प है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए.
Nitish Kumar का बयान और मोदी की उंगली पर स्याही
उद्घाटन के दौरान एक वायरल वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी की उंगली पर लगी स्याही देखने को मिली. इस घटना पर टिप्पणी करते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि नीतीश कुमार ने सही किया जो उन्होंने कहा. नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि नालंदा विश्वविद्यालय का यह प्रोजेक्ट संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के दौर की परियोजना है और इसमें कई लोगों का योगदान रहा है न कि केवल वर्तमान सरकार का.
श्रेय लेने की कोशिश
भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नालंदा के लिए सारा श्रेय लेने और सुर्खियां बटोरने की कोशिश कर रहे थे. उन्होंने कहा “नरेंद्र मोदी नालंदा के लिए सारा श्रेय लेने की कोशिश कर रहे थे जबकि नीतीश कुमार ने उन्हें याद दिलाया कि यह परियोजना संप्रग के दौर में शुरू हुई थी और इसमें कई लोगों का योगदान रहा है.”
नीतीश कुमार की राजनीतिक स्थिति
इस संदर्भ में भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार की राजनीति के बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा “नीतीश कुमार ने कई बार अपनी स्थिति बदली है. यह भारतीय राजनीतिक कलाबाजी का एक हिस्सा हो सकता है. यह कहना मुश्किल है कि वे राजग के साथ बने रहेंगे या नहीं. वे कब और क्यों ऐसा करते हैं यह केवल समय ही बताएगा.”