Delhi में कन्हैया कुमार वर्सेस मनोज तिवारी मुकाबला अहम क्यों

New Delhi: आखिरकार लंबे इंतजार के पश्चात कांग्रेस ने दिल्ली के सभी तीन उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी। इन तीन उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा हाई प्रोफाइल उम्मीदवार कन्हैया कुमार है।

कन्हैया कुमार अब दो दफा सांसद और भोजपुरी स्टार मनोज तिवारी को सीधी चुनौती देंगे। केवल दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे भारत की नजरे इस सीट पर रहने वाली है। समझिए यह चैलेंज इस दफा लोकसभा चुनाव के सबसे बड़े मुकाबला में से एक होगा।

पूर्वांचल बनाम पूर्वांचल

नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के पूर्वांचल की आबादी काफी ज्यादा है। यह पूरे भारत में सबसे घनी आबादी वाला इलाका है। इस कारण से यहां पर बनी उन अधिकृत कॉलोनी जहां पर अलग-अलग राज्यों से प्रवासी ए गया माइग्रेंट जनसंख्या सबसे ज्यादा है। इसी इलाके में बुराड़ी, करावल नगर, सीमापुरी, गोकुलपुरी जैसे इलाके आते हैं जहां सैकड़ो की तादाद में अनऑथराइज्ड कालोनियां है।

इनमें सिर्फ बिहार, बल्कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा से आकर काम करने वाली बड़ी आबादी रहती है। ऐसे में उन सब का वोट किसी और जाएगा यह भी यहां की चुनावी समीकरण तय करेगा।

Delhi का सबसे ज्यादा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण वाला एरिया है नॉर्थ ईस्ट दिल्ली

नॉर्थ ईस्ट दिल्ली 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगों के कारण से पूरी दुनिया में कुख्यात हो गया था। उन दंगों के पश्चात इस इलाके में धार्मिक धुव्रीकरण बहुत ज्यादा देखने को मिला। इस लोकसभा क्षेत्र में सीलमपुर मुस्तफाबाद बाबरपुर और करावल नगर जैसे इलाके आते हैं जहां मुस्लिम आबादी बहुत ज्यादा है। समूचे लोकसभा क्षेत्र में वोटरों के लिहाज से 21 परसेंट वाटर मुस्लिम समुदाय से हैं। इसलिए संभावना यही है कि इस दफा चुनाव में भी धार्मिक ध्रुवीकरण के मुद्दे काफी जोर पकड़ सकते हैं।

दो स्टार की इंटरेस्टिंग जंग

मनोज तिवारी जो की नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से भाजपा के उम्मीदवार हैं वह इस इलाके से दो बार सांसद रह चुके हैं। उनकी इस इलाके में अच्छी खासी पकड़ मानी जाती है। नीति के तौर पर वह लोकप्रिय हो ना हो परंतु अभिनेता और सिंगर के तौर पर उनकी फैन फॉलोइंग काफी ज्यादा है। जबकि कन्हैया कुमार की स्टार छवि दूसरे तरह की है। बट और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी छात्र संघ प्रेसिडेंट वह रातों-रात स्टार बन गए थे।

उनके भाषणों के जरिए उनकी पापुलैरिटी एक अलग स्तर तक पहुंच गई थी। अब वह एनएसयूआई के एआईसीसी इंचार्ज है और खास तौर पर युवाओं से जुड़े मामलों को लगातार उठाते रहे हैं।

कन्हैया कुमार राहुल गांधी के दोनों भारत जोड़ो यात्रा में काफी एक्टिव रहे, वे लगातार उन यात्राओं की योजना बनाने और युवाओं के साथ जोड़ने में अपनी अहम भूमिका निभा रहे थे। कभी कम्युनिस्ट रहे कन्हैया कुमार अब राहुल गांधी की सेवा के सबसे सक्रिय सिपासलाहारों में से एक है। वही मनोज तिवारी की अहमियत इस बात से पता चलती है कि दिल्ली की 7 सीटों में सिर्फ एक मौजूदा संसद को टिकट दिया गया और वह मनोज तिवारी है।

मनोज तिवारी खुद को नरेंद्र मोदी की सेवा का एक सिपाही मानते हैं और सिर्फ दिल्ली के सियासत में नहीं बल्कि अलग-अलग चुनाव में बताओ स्टार प्रचारक उनकी भूमिका काफी इंपोर्टेंट रही है।

नॉर्थ ईस्ट Delhi की इस जंग से निकलेगा दिल्ली का भविष्य

एक बात तो तय है कि नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के नतीजे चाहे जो भी आए यह आने वाले समय में देश की राजधानी की राजनीति की दिशा जरूर तय करेगा। लोकसभा चुनाव में चाहे मनोज तिवारी जीते या फिर कन्हैया कुमार दोनों के सामने दिल्ली की राजनीति में अपनी पार्टी को नेतृत्व देने की काफी क्षमता है। मौजूदा वक्त में आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल कई आरोप ऑन से घिरे हैं ऐसे में यहां जो भी जीतेगा उनकी पार्टी दिल्ली के भविष्य के तौर पर देख सकती है।

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