रांची – मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में गुरुवार को आयोजित Jharkhand कैबिनेट की बैठक में राज्य के लिए कई अहम फैसले लिए गए।
कैबिनेट के निर्णय… pic.twitter.com/jHNZcYNEOA
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) May 8, 2025
इन निर्णयों में सबसे महत्वपूर्ण फैसला बालू घाटों की नीलामी प्रक्रिया में बदलाव का रहा, जिसके तहत अब कैटेगरी-2 के अंतर्गत आने वाले 444 बालू घाटों का टेंडर जिला स्तर पर किया जाएगा।
कैबिनेट विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने बताया कि यह फैसला झारखंड सैंड माइनिंग रूल्स-2025 के तहत लिया गया है। अभी तक ये टेंडरिंग प्रक्रिया झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSMDC) के द्वारा की जाती थी। वर्ष 2017 में बनी माइनिंग पॉलिसी के बावजूद पिछले आठ वर्षों में सिर्फ 35 घाटों का ही संचालन हो सका था। इस निर्णय का उद्देश्य न केवल आम जनता को उचित मूल्य पर बालू उपलब्ध कराना है, बल्कि राजस्व घाटे को भी रोकना है।
Jharkhand News: प्रमुख बिंदु:
- 444 बालू घाटों का जिला स्तर पर होगा टेंडर।
- नीलामी के बाद संचालनकर्ता ही बालू की बिक्री कर सकेंगे।
- राजस्व घाटा रोकने और पारदर्शिता बढ़ाने की कोशिश।
Jharkhand News: पुलिस कर्मियों के लिए भी राहत: नई प्रोन्नति नियमावली
कैबिनेट ने झारखंड राज्य पुलिस ट्रेड संवर्ग नियमावली-2025 को मंजूरी दी है। अब पुलिस के चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों के लिए 50% पदों पर सीधी नियुक्ति और शेष 50% पदों पर सीमित प्रतियोगिता परीक्षा के माध्यम से प्रोन्नति होगी। यह निर्णय लंबे समय से रुकी प्रोन्नति प्रक्रिया के समाधान की दिशा में उठाया गया कदम है।
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उग्रवादियों-अपराधियों पर सख्ती, इनाम नीति में बदलाव
राज्य सरकार ने उग्रवादी और कुख्यात अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए घोषित इनाम नीति में भी संशोधन किया है। अब इनाम की राशि पांच श्रेणियों में विभाजित की गई है। इसमें जघन्य हत्या, फिरौती के लिए अपहरण, डकैती, साइबर अपराध, और नकली मुद्रा तस्करी जैसे अपराध शामिल हैं। हालांकि प्रतिबंधित संगठनों के उग्रवादियों पर यह बदलाव लागू नहीं होगा।
क्या हो सकता है असर?
- स्थानीय स्तर पर बालू व्यापार का विकेंद्रीकरण होगा, जिससे पारदर्शिता और प्रतियोगिता बढ़ेगी।
- पुलिस कर्मियों के मनोबल में वृद्धि होगी और प्रोन्नति के अवसर समान रूप से मिलेंगे।
- उग्रवाद और संगठित अपराध के खिलाफ रणनीतिक रूप से प्रभावी नीति बनाई जा सकेगी।
हेमंत सोरेन कैबिनेट के ये फैसले प्रशासनिक सुधार और संसाधन प्रबंधन की दिशा में निर्णायक माने जा रहे हैं। जहां एक ओर ये कदम आर्थिक पारदर्शिता की ओर बढ़ते प्रतीत होते हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य के अंदरूनी सुरक्षा ढांचे को मज़बूत करने का इशारा भी देते हैं।
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