Deoghar: देवघर जिले के मधुपुर अनुमंडल स्थित पथरोल काली मंदिर अपनी ऐतिहासिक महत्ता और चमत्कारी शक्तियों के लिए दूर-दराज तक प्रसिद्ध है। करीब 500 साल पुराना यह मंदिर मां काली के जागृत स्वरूप के रूप में पूजा जाता है, जहां श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होने का विश्वास है।
इस मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में तत्कालीन राजा दिग्विजय सिंह ने की थी। मंदिर से जुड़ी एक रोचक कथा के अनुसार, पहले यहां केवल एक वेदी पर पूजा होती थी। लेकिन एक रात राजा को स्वप्न में माता काली ने दर्शन देकर कोलकाता के कालीघाट से प्रतिमा लाने का निर्देश दिया। राजा ने माता की आज्ञा का पालन करते हुए डोली में प्रतिमा लाकर विधिवत स्थापना की। तभी से यह मंदिर कोलकाता के कालीघाट मंदिर से अपनी समानता के लिए भी प्रसिद्ध है।
पथरोल काली मंदिर में प्रतिदिन देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं। खासकर दीपावली और नवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष पूजा, अनुष्ठान और भव्य आयोजन होते हैं। इन पर्वों पर मंदिर परिसर श्रद्धा और उल्लास से सराबोर हो उठता है।
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स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां मां काली का वास है और जो भी सच्चे मन से उनसे प्रार्थना करता है, उसकी हर इच्छा पूरी होती है। यही कारण है कि पथरोल काली मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह लोगों की गहरी आस्था और विश्वास का प्रतीक भी बन चुका है।