बिहार में मोबाइल यूज़र्स के लिए एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। 5 लाख से ज्यादा मोबाइल हैंडसेट फर्जी IMEI नंबर के साथ चल रहे हैं। इसका फायदा उठा रहे हैं साइबर ठग, जो ऐसे मोबाइल से कॉल करके लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं।
क्या है IMEI नंबर?
IMEI (International Mobile Equipment Identity) एक 15 अंकों की यूनिक पहचान होती है, जो हर मोबाइल को एक अलग पहचान देती है — जैसे इंसान की फिंगरप्रिंट।
कैसे हो रही है ठगी?
- साइबर ठग चोरी हुए मोबाइल का IMEI नंबर बदल देते हैं या किसी मूल मोबाइल के IMEI नंबर की क्लोनिंग कर लेते हैं।
- फिर उस फर्जी मोबाइल में दूसरा सिम कार्ड लगाकर बैंकिंग फ्रॉड, OTP स्कैम, फर्जी कॉल सेंटर ठगी जैसे अपराध करते हैं।
- जब पुलिस IMEI से ट्रैक करती है, तो एक ही नंबर कई डिवाइस में एक्टिव मिलता है, जिससे पहचान मुश्किल हो जाती है।
जांच में हुआ बड़ा खुलासा:
- पूरे देश में करीब 1 करोड़ फर्जी IMEI नंबर वाले मोबाइल एक्टिव हैं।
- बिहार में अकेले 5.57 लाख मोबाइल फोन इस तरह के हैं।
- अब तक 20,435 लोग ऐसे मोबाइल के जरिए ठगी का शिकार हो चुके हैं।
ऐसे बचें इस साइबर खतरे से:
नया मोबाइल खरीदते समय:
- डायल करें
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– स्क्रीन पर IMEI नंबर आएगा। - बॉक्स और बिल पर लिखा IMEI नंबर मिलाएं।
- ऑनलाइन CEIR (https://ceir.gov.in) या संचार साथी एप से IMEI वेरिफाई करें।
पुराना मोबाइल खरीदने पर:
- चोरी का फोन न खरीदें। IMEI की जांच ज़रूरी करें।
- CEIR पोर्टल पर रिपोर्ट करें अगर शक हो।
मोबाइल चोरी हो जाए तो:
- तुरंत संचार साथी एप पर रिपोर्ट करें।
- पुलिस में शिकायत के साथ IMEI नंबर जरूर दें।
- नेटवर्क बंद कराने के लिए टेलीकॉम ऑपरेटर को सूचित करें।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं:
साइबर एक्सपर्ट प्रमोद कुमार बताते हैं:
“IMEI क्लोनिंग से अपराधी फोन को नया रूप दे देते हैं। इससे कॉल, OTP फ्रॉड और फर्जी वॉलेट एक्टिवेशन करना आसान हो जाता है। आम जनता को जागरूक रहना बेहद जरूरी है।”
दूरसंचार विभाग के उप निदेशक सूर्य प्रकाश के मुताबिक:
“संचार साथी जैसे एप और सरकारी निगरानी से इस तरह की ठगी पर लगाम लगाने की कोशिश जारी है।”
अंत में – याद रखें:
आपका मोबाइल सिर्फ एक डिवाइस नहीं, आपकी पहचान और डेटा का भंडार है।
IMEI नंबर सुरक्षित रखें और कभी भी अनजान कॉल या संदिग्ध मोबाइल से आई रिक्वेस्ट पर विश्वास न करें।
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