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Jharkhand के चतरा में माओवादियों का फरमान, ठेकेदारों-मुखिया से 5% लेवी की मांग; 15 दिन का अल्टीमेटम, जिले में दहशत

On: July 31, 2025 8:57 PM
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Jharkhand के चतरा जिले में भाकपा माओवादी संगठन की नई धमकी ने स्थानीय मुखिया, ठेकेदारों और पंचायत प्रतिनिधियों के बीच हड़कंप मचा दिया है।

माओवादियों ने कंप्यूटराइज्ड लेटर जारी कर जिले के कुंदा, लावालौंग, हंटरगंज, प्रतापपुर समेत कई प्रखंडों के सरकारी निर्माण कार्यों को लक्षित करते हुए सभी संबंधित ठेकेदारों और मुखियों से प्राक्कलित राशि का 5% ‘लेवी’ मांगी है। साथ ही 15 दिन के अंदर रकम जमा न करने पर “कठोर से कठोर कार्रवाई” और संभावित जानमाल के नुकसान की चेतावनी दी है।

Jharkhand News: लेवी नहीं दी तो ‘कठोर कार्रवाई’ की चेतावनी

फरमान माओवादी संगठन की ‘मध्य जोनल कमेटी’ के नाम से लेटर पैड पर जारी किया गया है। इसमें लिखा है:

  • जिले में पार्टी के कार्यक्षेत्र में होने वाले हर निर्माण कार्य से स्वीकृत राशि का 5% संगठन की वित्तीय मजबूती के लिए संग्रहित किया जाएगा।

  • ठेकेदारों/मुखिया को सशस्त्र दस्ता से मिलकर 15 दिन में लेवी निपटाने की हिदायत।

  • विरोध या रकम नहीं देने की स्थिति में जानमाल की भारी क्षति के लिए खुद जिम्मेदार ठहराया गया है।

इस फरमान के बाद पंचायत प्रतिनिधियों, संवेदकों और ठेकेदारों में जबर्दस्त डर और अफरातफरी का माहौल बन गया है।

Jharkhand  News: जिला प्रशासन सतर्क, जांच के आदेश

चतरा के एसपी सुमित अग्रवाल ने कहा कि मामले की जांच के लिए टीम बनाई जा रही है। उन्होंने कहा, “अभी तक मामला थाना स्तर पर संज्ञान में नहीं था, अब हर प्रखंड में पुलिस सक्रियता बढ़ा दी गई है। फरमान की प्रामाणिकता और माओवादियों की गतिविधियों का वास्तविकता से मिलान कर कार्रवाई की जाएगी।”

झारखंड के कई जिलों, खासकर चतरा, पलामू, गढ़वा, लातेहार में माओवादी पहले भी लेवी वसूलने की गतिविधियों में शामिल रहे हैं—मगर इस बार खुले तौर पर कंप्यूटराइज्ड फरमान ने स्थिति को और भयावह बना दिया है। निर्माण कार्यों, सड़क, पुलिया, स्कूल या सरकारी योजनाओं में लगे ठेकेदार और निर्वाचित पंचायत जनप्रतिनिधि अब दहशत के साये में काम कर रहे हैं।

माओवादी संगठन की इस धमकी ने जिले में आंतरिक सुरक्षा और विकास कार्यों की गति पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। पुलिस प्रशासन ने सतर्कता और कड़ी कार्रवाई की बात कही है, लेकिन लेवी की खुली मांग ने एक बार फिर नक्सलवाद-प्रभावित इलाकों की जमीनी हकीकत उजागर कर दी है।

 

 

 

 

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