Nishikant Dubey: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि “75 साल की उम्र के बाद नेताओं को खुद ही पीछे हट जाना चाहिए और युवाओं को आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए।”
विकसित भारत 2047 ही हमारा अंतिम लक्ष्य है https://t.co/Xkaxq5W74G
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) July 17, 2025
इस बयान को राजनीतिक गलियारों में अलग-अलग तरीके से देखा जा रहा है। कई लोग इसे भारतीय राजनीति में वरिष्ठ नेताओं के भविष्य से जोड़कर देख रहे हैं, खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ध्यान में रखते हुए जो अगले साल 75 के हो जाएंगे।
Nishikant Dubey का जवाब- मोदी आज भी देश की सबसे बड़ी जरूरत
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और सांसद निशिकांत दुबे ने मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “देश को अभी भी नरेंद्र मोदी की जरूरत है। उम्र सिर्फ एक संख्या है, और मोदी जी ने यह साबित कर दिया है कि उनकी ऊर्जा, दूरदर्शिता और नीतिगत फैसले किसी युवा नेता से कम नहीं हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि मोदी न केवल भारत बल्कि वैश्विक मंच पर भी देश का चेहरा बन चुके हैं, और उनका अनुभव, नीतिगत समझ व नेतृत्व कौशल किसी भी युवा नेता के लिए प्रेरणा है।
विपक्ष ने उठाया सवाल, भाजपा में मची हलचल
हालांकि, मोहन भागवत का यह बयान विपक्ष के लिए एक हथियार बन गया है। कांग्रेस और अन्य दलों ने इसे भाजपा के नेतृत्व को घेरने के लिए इस्तेमाल किया है। कई नेताओं ने तंज कसते हुए कहा कि “क्या अब मोदी जी भी रिटायर होंगे?” इस बयान ने भाजपा के भीतर भी हलचल पैदा की है, हालांकि पार्टी नेतृत्व इसे लेकर सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहने से बच रही है।
क्या यह विचारधारा में बदलाव का संकेत है?
कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मोहन भागवत का यह बयान सिर्फ उम्र नहीं, बल्कि संगठनात्मक परिपक्वता और जिम्मेदारी के हस्तांतरण का संदेश है। संघ हमेशा से नेतृत्व में अनुशासन और सीमित कार्यकाल की बात करता रहा है। यह बयान भाजपा के भीतर भविष्य की लीडरशिप तैयार करने का संकेत भी हो सकता है।
उम्र से नहीं, कर्म से आंकिए नेतृत्व
मोहन भागवत का बयान निश्चित रूप से एक व्यापक बहस की शुरुआत है, लेकिन यह जरूरी है कि हम नेतृत्व की क्षमता को उम्र से नहीं, उनके कार्य, नीति, और दृष्टिकोण से आंकें। निशिकांत दुबे की टिप्पणी इसी सोच को प्रतिबिंबित करती है कि नरेंद्र मोदी का योगदान, अनुभव और नेतृत्व भारत को अभी और आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।