Gumla: गुमला जिले के सदर थाना क्षेत्र के दुंदुरिया बस्ती में शनिवार सुबह गैस सिलिंडर के रिसाव से हुए भीषण हादसे में एक दंपति की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे में गंभीर रूप से झुलसे रंथू उरांव (58) और उनकी पत्नी गौरी उरांव (48) को इलाज के लिए पहले गुमला सदर अस्पताल और फिर रांची के रिम्स रेफर किया गया था। जहां शनिवार को पत्नी की और बुधवार को पति की मौत हो गई।
पति की मौत की खबर बुधवार को जैसे ही गांव पहुंची, पूरे इलाके में शोक और आक्रोश फैल गया। गुस्साए ग्रामीणों ने शव के साथ गुमला-लोहरदगा मुख्य मार्ग पर प्रदर्शन करते हुए सड़क को घंटों जाम रखा। इससे यातायात पूरी तरह ठप हो गया और यात्रियों व सरकारी कर्मचारियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
कैसे हुआ हादसा?
घटना शनिवार सुबह उस वक्त हुई जब गौरी उरांव घर में नाश्ता बनाने के लिए चूल्हा जलाने लगीं और रंथू उरांव गैस सिलिंडर से आ रही गैस की बदबू को लेकर जांच कर रहे थे। जैसे ही माचिस जलाई गई, सिलिंडर में आग लग गई। आग इतनी भीषण थी कि पूरा छप्पर जल गया और आग पास के इमली के पेड़ तक फैल गई। दोनों पति-पत्नी बुरी तरह झुलस गए।
एजेंसी की लापरवाही पर ग्रामीणों का फूटा गुस्सा
ग्रामीणों ने इस हादसे के लिए ‘मां शेरावाली गैस एजेंसी’ को जिम्मेदार ठहराया है। लोगों का कहना है कि एजेंसी द्वारा समय-समय पर गैस सिलिंडर की लीकेज जांच और जरूरी सर्विस नहीं की गई, जिससे यह दुर्घटना हुई। ग्रामीणों ने दोषी एजेंसी पर कार्रवाई और पीड़ित परिवार को मुआवजा देने की मांग की है।
तीन मासूम बच्चों का अब कोई सहारा नहीं
मृतक दंपति के पीछे अब केवल तीन छोटे-छोटे बच्चे रह गए हैं, जिनकी देखभाल करने वाला अब कोई नहीं है। इस हृदयविदारक स्थिति को देख ग्रामीणों ने प्रशासन से बच्चों की सुरक्षा और पालन-पोषण की जिम्मेदारी उठाने की भी मांग की है।
प्रशासन ने दिया आश्वासन, दो घंटे बाद हटा जाम
सूचना मिलने पर प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और आक्रोशित ग्रामीणों को समझा-बुझाकर आश्वासन दिया कि दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी और पीड़ित परिवार को सहायता मुहैया कराई जाएगी। इसके बाद करीब दो घंटे बाद जाम हटाया गया और यातायात बहाल हो सका।
सवालों के घेरे में गैस एजेंसियों की कार्यप्रणाली
यह हादसा गैस एजेंसी की लापरवाही और सुरक्षा मानकों की अनदेखी का एक गंभीर उदाहरण बन गया है। ग्रामीणों ने मांग की है कि सभी उपभोक्ताओं के गैस सिलिंडरों की नियमित लीकेज जांच अनिवार्य की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की दुखद घटनाओं को रोका जा सके।
गुमला की यह घटना न केवल एक परिवार के लिए त्रासदी है, बल्कि यह सिस्टम की लापरवाही पर भी बड़ा सवाल खड़ा करती है। अब देखना होगा कि प्रशासन और संबंधित विभाग इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाते हैं और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की दिशा में क्या ठोस कदम उठाते हैं।