Sahibganj: मेहनत, लगन और आत्मविश्वास हो तो किसी भी मंज़िल को पाना मुश्किल नहीं होता। इसका बेहतरीन उदाहरण बने हैं मो. फिरदौस अंसारी, जिन्होंने झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) की 10वीं बोर्ड परीक्षा में 484 अंक प्राप्त कर न सिर्फ साहिबगंज जिले में टॉप किया, बल्कि पूरे राज्य में 34वां स्थान हासिल किया है।
तीनपहाड़ स्थित उच्च विद्यालय के छात्र फिरदौस ने अपनी कड़ी मेहनत और अनुशासित दिनचर्या से यह मुकाम हासिल किया। सीमित संसाधनों और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद उसने यह दिखा दिया कि दृढ़ निश्चय हो तो हालात भी झुक जाते हैं।
शिक्षा का सपना, सीमित साधन
फिरदौस के पिता मुर्शिद आलम अखबार बेचने का काम करते हैं, और मां रूही प्रवीण एक गृहिणी हैं। माता-पिता की शिक्षा क्रमश: सिर्फ 5वीं और 8वीं तक ही हुई है, लेकिन उन्होंने अपने बच्चों को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। फिरदौस के दो बड़े भाई और एक बहन हैं। एक भाई बीएससी कर रहा है, दूसरा बीए की पढ़ाई में जुटा है, जबकि बहन ने इंटरमीडिएट की परीक्षा दी है।
पढ़ाई और ज़िम्मेदारियों का संतुलन
फिरदौस ने बताया कि वह रोजाना शाम 6 बजे से रात 2 बजे तक और फिर सुबह 4 से 6 बजे तक पढ़ाई करता था। इसके अलावा वह हर सुबह 6 से 8 बजे तक अपने पिता के साथ अखबार बेचने में भी मदद करता था। पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन के लिए उसने कोचिंग का भी सहारा लिया।
डॉक्टर बनने की ख्वाहिश
अपनी सफलता के बाद फिरदौस ने बताया कि उसका सपना एक दिन डॉक्टर बनकर समाज की सेवा करना है। वह आगे की पढ़ाई पूरी करके नीट की परीक्षा की तैयारी करना चाहता है। फिरदौस ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, स्कूल और कोचिंग के शिक्षकों को दिया है।
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पूरे जिले में खुशी का माहौल
फिरदौस की इस उपलब्धि से पूरे जिले में गर्व और खुशी की लहर है। स्कूल के शिक्षकों से लेकर मोहल्ले के लोग तक, हर कोई उसके जज्बे और मेहनत की सराहना कर रहा है। उसकी यह सफलता न सिर्फ उसके परिवार बल्कि समाज के उन तमाम बच्चों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखने का साहस रखते हैं।