Latehar: जिले के 962 आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के पोषण आहार के लिए खरीदे गए बर्तनों की आपूर्ति में भारी घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। करोड़ों रुपये की लागत से खरीदे गए बर्तन इतने घटिया गुणवत्ता के हैं कि उनका उपयोग खाना पकाने या परोसने के लिए संभव ही नहीं है। जिला परिषद अध्यक्ष पूनम देवी के निरीक्षण के दौरान इस भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ।
घटिया बर्तनों की आपूर्ति, संवेदक को मिला भुगतान
जानकारी के अनुसार, डीएमएफटी फंड के तहत जिला समाज कल्याण विभाग द्वारा टेंडर जारी कर वाणी इंटरप्राइजेज नामक फर्म को बर्तनों की आपूर्ति की जिम्मेदारी दी गई थी। इन बर्तनों में ग्लास, थाली, कड़ाही, कटोरा, जग, प्रेशर कुकर सहित अन्य सामान शामिल थे। लेकिन इनकी गुणवत्ता इतनी खराब पाई गई कि आंगनबाड़ी सेविकाओं ने इनका उपयोग करने से इनकार कर दिया।
चौंकाने वाली बात यह है कि बर्तनों की गुणवत्ता की जांच किए बिना ही विभाग द्वारा संवेदक को भुगतान कर दिया गया। इससे विभाग की कार्यशैली पर भी गंभीर सवाल उठे हैं।
निरीक्षण में खुला पोल, जिला परिषद अध्यक्ष ने उठाई उच्च स्तरीय जांच की मांग
जिला परिषद अध्यक्ष पूनम देवी ने आंगनबाड़ी केंद्रों का निरीक्षण किया। सेविकाओं से बातचीत के दौरान यह पता चला कि वे आपूर्ति किए गए बर्तनों का उपयोग नहीं कर रही हैं क्योंकि उनमें खाना बनाना असंभव है। जब पूनम देवी ने बर्तन दिखाने को कहा, तो सामने आया कि बर्तनों की गुणवत्ता न केवल घटिया थी बल्कि उनका आकार भी बच्चों के लिए अपर्याप्त था।
पूनम देवी ने इसे बच्चों के जीवन के साथ खिलवाड़ करार देते हुए कहा कि इस आपूर्ति में भारी कमीशनखोरी हुई है। उन्होंने झारखंड के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर पूरे घोटाले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उनका कहना है कि दोषियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
सेविकाओं की व्यथा: बच्चों का भोजन बनाना बना चुनौती
राजमुणि देवी, एक आंगनबाड़ी सेविका ने बताया कि बर्तन बहुत ही कमजोर और छोटे आकार के हैं। केंद्र में प्रतिदिन 30-35 बच्चे आते हैं, ऐसे में एक बार में उनके लिए भोजन बनाना इन बर्तनों में संभव नहीं है। इससे बच्चों को समय पर पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है।
डीएमएफटी पदाधिकारी ने झाड़ा पल्ला
जब इस मामले में लातेहार के डीएमएफटी पदाधिकारी समीर कुल्लू से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि यह कार्य उनके कार्यक्षेत्र में नहीं हुआ है और वे इस पर फोन पर कुछ नहीं कह सकते। उन्होंने आग्रह किया कि उनसे ऑफिस में आकर बात की जाए।
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अब सबकी नजर सरकार और प्रशासन पर
इस खुलासे के बाद पूरे जिले में हड़कंप मच गया है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह सिर्फ भ्रष्टाचार का एक मामला है या इसके पीछे बड़े स्तर पर फंड की लूट है? अब देखना यह है कि सरकार इस पर क्या ठोस कार्रवाई करती है या हमेशा की तरह इस घोटाले पर भी महज औपचारिकताएं ही निभाई जाएंगी।
रिपोर्ट: रूपेश अग्रवाल