Monday, June 16, 2025
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केंद्र सरकार ने Jharkhand के डीजीपी अनुराग गुप्ता के सेवा विस्तार पर लगाई रोक

Ranchi: केंद्र सरकार ने Jharkhand के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता के सेवा विस्तार के प्रस्ताव पर सख्त रुख अपनाते हुए 30 अप्रैल 2025 के बाद उनके कार्यकाल को बढ़ाने से रोक दिया है।

गृह मंत्रालय ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि यह निर्णय केंद्र की अनुमति के बिना लिया गया और यह प्रक्रिया नियमों के विरुद्ध है।

Jharkhand News: बिना अनुमति सेवा विस्तार पर केंद्र की आपत्ति

गृह मंत्रालय के पत्र में यह उल्लेख किया गया है कि भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारियों के सेवा विस्तार या स्थायी नियुक्ति से पूर्व केंद्र सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य होता है। अनुराग गुप्ता को पहले प्रभारी डीजीपी के तौर पर नियुक्त किया गया था और बाद में राज्य सरकार ने अपनी तरफ से नियमावली तैयार कर स्थायी नियुक्ति कर दी। केंद्र ने इस प्रक्रिया पर गंभीर आपत्ति जताते हुए इसे नियमों का उल्लंघन बताया है।

Jharkhand News: विधायक सरयू राय ने भी उठाए सवाल

इस मामले ने राज्य की राजनीति में भी हलचल मचा दी है। वरिष्ठ विधायक सरयू राय ने अनुराग गुप्ता की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने नियमों को ताक पर रखकर कार्य किया है और यह पूरे प्रशासनिक ढांचे की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। राय ने मांग की है कि राज्य सरकार को इस निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करना चाहिए।

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Jharkhand सरकार की प्रक्रिया पर संदेह

राज्य सरकार ने अनुराग गुप्ता को पहले “प्रभारी डीजीपी” नियुक्त किया था, जो अस्थायी पद होता है। इसके बाद एक नई नियमावली बनाकर उन्हें स्थायी डीजीपी के तौर पर स्थापित कर दिया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं हुआ।

आगे क्या हो सकता है?

अब जब केंद्र सरकार ने सेवा विस्तार को रोक दिया है, तो झारखंड सरकार के सामने दो विकल्प हैं—या तो वह अनुराग गुप्ता के स्थान पर नए डीजीपी की नियुक्ति करे या फिर केंद्र सरकार से औपचारिक अनुमति लेकर नया प्रस्ताव भेजे। जानकारों का कहना है कि यदि राज्य सरकार इस मसले को जल्द नहीं सुलझाती है तो यह मामला न्यायालय तक भी पहुंच सकता है।

अनुराग गुप्ता के सेवा विस्तार विवाद ने झारखंड सरकार की कार्यप्रणाली और केंद्र-राज्य संबंधों में एक नई बहस छेड़ दी है। आने वाले दिनों में इस मामले पर राजनीतिक सरगर्मी और बढ़ने की संभावना है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार इस चुनौती का सामना किस तरह करती है।

 

 

 

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