पटना। Vijay Sinha: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में निर्वाचन आयोग द्वारा चलाए जा रहे मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान पर राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है।
Patna, Bihar: On the opposition raising questions regarding the Bihar voter list, Deputy CM Vijay Kumar Sinha says, “The opposition is mentally defeated. They are nervous and troubled because their misdeeds are being exposed. They knew that when the transparency of each and every… pic.twitter.com/KmlDv63nXO
— IANS (@ians_india) June 28, 2025
विपक्ष द्वारा इस अभियान पर सवाल उठाए जाने के बाद, डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा ने शनिवार को जोरदार हमला बोला। उन्होंने राजद और कांग्रेस को “बांग्लादेशियों की भाषा बोलने वाला” करार दिया और आरोप लगाया कि ये दोनों पार्टियां संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने में लगी हैं।
पटना में मीडिया से बात करते हुए विजय सिन्हा ने कहा:
“जब भारत का चुनाव आयोग पारदर्शी तरीके से मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित करने की प्रक्रिया चला रहा है, तब राजद और कांग्रेस को बेचैनी क्यों हो रही है? ये लोग लोकतंत्र के दुश्मन हैं और परिवारवाद को बचाने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं।”
उन्होंने कहा कि राजद और कांग्रेस अब बंगाल की राह पर चल पड़े हैं और उन पर ममता बनर्जी की संगत का असर साफ दिखाई दे रहा है।
“ये लोग अब बांग्लादेशियों की भाषा बोल रहे हैं,” उन्होंने तीखे लहजे में कहा।
Vijay Sinha News: वोटर सर्वे पर उठाए गए विपक्षी सवालों पर तंज
विपक्ष द्वारा यह सवाल उठाए जाने पर कि दो वर्षों का काम महज 25 दिनों में कैसे पूरा होगा, विजय सिन्हा ने व्यंग्य करते हुए कहा:
“राजद और कांग्रेस के नेता ही अब संविधान के ज्ञाता बन बैठे हैं। अगर उन्हें कोई आपत्ति है तो वे न्यायालय जाएं, लेकिन वो वहां भी नहीं जाएंगे क्योंकि उन्हें वहां से भगा दिया जाएगा।”
Vijay Sinha news: बिहार में रोजगार और विकास का दावा
डिप्टी सीएम ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य में अब रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर बने हैं।
“अब बिहारी को बाहर जाने की जरूरत नहीं है। बिहार में ही रोजगार उपलब्ध हो रहा है। अराजकता और जंगलराज से मुक्ति मिल चुकी है, और राज्य का सम्मान बढ़ा है।”
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के तीखे बयान ने यह साफ कर दिया है कि आगामी बिहार चुनाव को लेकर सियासी पारा तेज़ हो चला है। मतदाता सूची पुनरीक्षण जैसे संवैधानिक दायित्व पर भी अब राजनीतिक रंग चढ़ गया है। एक ओर जहां सरकार इसे पारदर्शिता की दिशा में कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे जनाधार कमजोर करने की साजिश मान रहा है। अगले कुछ हफ्तों में इस मुद्दे पर और बयानबाजी देखने को मिल सकती है।