Tuesday, August 5, 2025
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ट्रंप की धमकियों ट्रम्प की धमकियों से डरा नहीं भारत, कहा—रूस से तेल हर हाल में लेते रहेंगे, अमेरिका-यूरोप की दोहरी नीति उजागर की

रूस से तेल आयात को लेकर अमेरिका और यूरोपीय संघ की चेतावनियों के बाद भारत (India) ने अपनी कूटनीति और राष्ट्रीय हितों का सख्ती से बचाव किया है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोमवार को स्पष्ट किया कि भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए हर जरूरी उपाय करेगा।

अमेरिका-यूरोप पर India की दो टूक

जायसवाल ने कहा—”रूस से तेल खरीदने पर भारत को निशाना बनाना पूरी तरह अनुचित और बेबुनियाद है। जब यूक्रेन-रूस युद्ध की वजह से पारंपरिक तेल आपूर्तियां बाधित हुई थीं, तब अमेरिका ने खुद भारत के इस विकल्प को सपोर्ट किया था ताकि वैश्विक ऊर्जा बाजार में स्थिरता बनी रहे।”
उन्होंने खुलासा किया कि आज जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे खुद रूस के साथ बड़े पैमाने पर व्यापार कर रहे हैं, और यह दोहरा रवैया पूरी दुनिया देख रही है।

India के लिए किफ़ायती और ज़रूरी

भारत ने साफ किया कि रूस से आयातित तेल कोई ‘विकल्प’ नहीं, बल्कि देश की जरूरत है—ताकि आम लोगों को सस्ती और स्थिर कीमतों पर ऊर्जा मिलती रहे। भारत ने राष्ट्रीय प्राथमिकता को सर्वोपरि बताया और कहा कि ट्रंप या किसी भी बाहरी दबाव से भारत की नीति नहीं बदल सकती।

अमेरिका-यूरोप की पोल खोली

  • विदेशी मंत्रालय ने स्पष्ट आंकड़े प्रस्तुत किए—

    • वर्ष 2024 में यूरोपीय संघ ने रूस से 67.5 अरब यूरो के सामान और 17.2 अरब यूरो की सेवाओं का व्यापार किया।

    • सिर्फ एलएनजी की बात करें, तो 2024 में यूरोप ने रूस से 1.65 करोड़ टन गैस मंगाई, जो 2022 से भी अधिक है।

    • रूस और यूरोप के बीच व्यापार केवल ऊर्जा उत्पादों तक सीमित नहीं है—खाद, रसायन, खनिज, लोहा-इस्पात, मशीनरी आदि में भी कारोबार जारी है।

    • अमेरिका भी रूस से यूरेनियम, पैलेडियम, खाद, केमिकल आदि बड़ी मात्रा में आयात कर रहा है।

भारत ने रूस से तेल खरीद पर अमेरिका की चेतावनियों और ट्रंप की ‘धमकी’ को सख्ती से खारिज कर दिया। भारत ने साफ कहा—”हम जो जरूरी होगा, करेंगे। अपने राष्ट्रीय और नागरिक हितों से कभी समझौता नहीं करेंगे। जिससे भी सस्ती और सुरक्षित ऊर्जा मिलेगी, वहां से खरीद जारी रहेगी—किसी दबाव में नहीं आएंगे।” अमेरिका-यूरोप की दोहरी नीति पर भारत का यह दो टूक जवाब अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी ऊर्जा स्वायत्तता का ऐलान है।

 

 

 

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