Katihar News: मनिहारी नगर पंचायत की राजनीति इन दिनों एक जांच रिपोर्ट को लेकर गर्माई हुई है। जिलाधिकारी को सौंपी गई तीन सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट में नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष राजेश कुमार उर्फ लाखों यादव के कार्यकाल में योजनाओं और ठेकों में गड़बड़ियों की बात कही गई है। यह रिपोर्ट सामने आते ही सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई।
हालांकि, रिपोर्ट के बीच स्थानीय स्तर पर एक अलग ही तस्वीर सामने आ रही है। नगर पंचायत के उप मुख्य पार्षद शुभम कुमार पोद्दार और सशक्त स्थायी समिति के अन्य सदस्य सामने आए और रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद बताया।
शुभम पोद्दार ने स्पष्ट किया कि नगर पंचायत द्वारा बनाए गए अस्थायी प्लेटफॉर्म नियमावली के तहत ही बनाए गए थे, जिन पर करीब 7 लाख रुपये खर्च हुए। इन प्लेटफॉर्मों के पीछे दुकानदारों ने स्वयं के खर्च पर अस्थायी दुकानें बनाई हैं, और उनसे कोई किराया भी नहीं वसूला जा रहा है।
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बैरियर बंदोबस्ती में गड़बड़ी के आरोपों पर उन्होंने बताया कि तीन बार निविदा प्रक्रिया अपनाने के बाद भी जब कोई संवेदक आगे नहीं आया, तब अंतिम निर्णय लेकर प्रक्रिया पूरी की गई, जिससे अब नगर पंचायत को नियमित राजस्व मिल रहा है।
इस विवाद के बीच स्थानीय दुकानदारों और नागरिकों ने भी पूर्व अध्यक्ष के समर्थन में खुलकर बयान दिए हैं। दुकानदारों ने कहा कि पहले वे सड़क किनारे गुमटी और ठेले लगाकर जैसे-तैसे व्यापार करते थे, लेकिन लाखों यादव के कार्यकाल में उन्हें स्थायित्व मिला, जिससे रोजगार का बेहतर साधन बना।
स्थानीय लोगों ने भी माना कि राजेश यादव के नेतृत्व में मनिहारी का कायाकल्प हुआ। गंगा घाट का सौंदर्यीकरण, जलजमाव की समस्या का समाधान, सड़क और नाला निर्माण जैसे कई कार्य उनके खाते में हैं। गंगा स्नान के लिए आने वाले श्रद्धालु भी इन सुविधाओं से संतुष्ट नजर आते हैं।
जांच रिपोर्ट में आरोप भले ही गंभीर हैं, लेकिन स्थानीय जनता के बीच लाखों यादव की छवि एक “विकास पुरुष” के रूप में बनी हुई है। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि प्रशासन की अगली कार्रवाई इस विवाद को किस दिशा में मोड़ती है।