रांची: झारखंड में RIMS 2 (राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान) की प्रस्तावित परियोजना पर सियासी घमासान तेज हो गया है। शनिवार को राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने नगड़ी गांव पहुंचकर रिम्स-2 के निर्माण स्थल का निरीक्षण किया और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
RIMS 2: ‘किसानों की जमीन पर अस्पताल नहीं बनने देंगे’: मरांडी
बाबूलाल मरांडी ने दावा किया कि रिम्स-2 का निर्माण कृषि भूमि पर किया जा रहा है, जो स्थानीय किसानों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा, “अगर सरकार को अस्पताल के लिए जमीन चाहिए, तो हम वैकल्पिक जमीन उपलब्ध कराने को तैयार हैं, लेकिन खेती की जमीन को नहीं छीनने देंगे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर गरीबों की जमीन नहीं बचा सके, तो राजनीति करने का कोई औचित्य नहीं।
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मरांडी ने पुरानी घटनाओं का हवाला देते हुए बताया कि 2012-13 में आईआईएम और ट्रिपल आईटी के निर्माण के दौरान भी ग्रामीणों ने इसी प्रकार का आंदोलन किया था और तब भी उन्होंने उनका समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि जिन किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई थी, उन्हें न तो उचित मुआवजा मिला और न ही कानून के अनुसार जमीन का उपयोग समय पर किया गया। ऐसे में अब रैयतों का जमीन पर फिर से अधिकार बनता है।
RIMS 2: सरकार की सफाई: ‘पूरी जमीन सरकारी, कोई निजी संपत्ति नहीं’
बाबूलाल मरांडी के आरोपों का जवाब देते हुए झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि रिम्स-2 की पूरी परियोजना राज्य सरकार की स्वामित्व वाली भूमि पर बन रही है। उन्होंने कहा, “यहां किसी भी आदिवासी या किसान की निजी जमीन नहीं ली जा रही है, और यह परियोजना पारदर्शिता के साथ आगे बढ़ रही है।”
डॉ. अंसारी ने मरांडी पर तीखा हमला करते हुए कहा कि वह हर विकास कार्य में बाधा डालने का काम करते हैं। उन्होंने कहा, “जब भी राज्य में कोई बड़ी परियोजना शुरू होती है, बाबूलाल मरांडी उसमें राजनीति खोजने लगते हैं। रिम्स-2 राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाएगा और इसे राजनीति से ऊपर रखा जाना चाहिए।”
RIMS 2: ‘राजनीति के लिए झूठी बातें फैलाई जा रही हैं’: मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि मरांडी आदिवासी मुद्दों को केवल राजनीतिक फायदा उठाने के लिए उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, “जब वह भाजपा में नहीं थे, तब खुद को सेक्युलर कहते थे, अब भाजपा में हैं तो आदिवासी कार्ड खेल रहे हैं। उनकी नीयत जनता देख चुकी है।”
RIMS 2: जनता की उम्मीदें और राजनीति की रुकावट
रिम्स-2 को लेकर जहां राज्य सरकार इसे स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा कदम बता रही है, वहीं विपक्ष इसे गरीबों और किसानों के अधिकारों का हनन बता रहा है। इस खींचतान के बीच आम जनता स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार की उम्मीद लगाए बैठी है।
झारखंड में आगामी चुनावी माहौल के मद्देनजर रिम्स-2 जैसे विकास कार्य सियासी मुद्दा बनते जा रहे हैं। अब देखना होगा कि यह परियोजना राजनीति की रुकावटों को पार कर जनता तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने का लक्ष्य पूरा कर पाती है या नहीं।
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