नई दिल्ली। Shubhanshu Shukla : भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर मौजूद भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के बीच हुई सीधी बातचीत न केवल तकनीकी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रही, बल्कि इसमें गाजर का हलवा जैसी भारतीय मिठाई ने भी चर्चा में खास जगह बनाई।
I had a wonderful conversation with Group Captain Shubhanshu Shukla as he shared his experiences from the International Space Station. Watch the special interaction! https://t.co/MoMR5ozRRA
— Narendra Modi (@narendramodi) June 28, 2025
प्रधानमंत्री मोदी ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में शुभांशु शुक्ला से पूछा –
“जो गाजर का हलवा आप अपने साथ ले गए हैं, क्या आपने उसे अपने साथियों को भी खिलाया?”
इस पर ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla मुस्कुराते हुए बोले –
“हां, मैं गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस लाया हूं। मेरा मकसद था कि अन्य देशों के मेरे साथी भारतीय व्यंजन की समृद्ध विरासत का स्वाद लें। हमने मिलकर इसे खाया और सभी को यह बेहद पसंद आया।”
“भारत नक्शे से भी बड़ा दिखता है” – अंतरिक्ष से भारत पर Shubhanshu Shukla का भावुक दृष्टिकोण
शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री को बताया कि जब उन्होंने अंतरिक्ष से भारत को पहली बार देखा तो उन्हें उसका आकार मानचित्र की अपेक्षा कहीं अधिक विशाल और भव्य लगा।
“जब हम पृथ्वी को बाहर से देखते हैं, तो वहां कोई सीमा नहीं दिखती। न कोई देश, न राज्य। सिर्फ एक ग्रह और हम सब एक मानवता।”
Shubhanshu Shukla ने अंतरिक्ष की कठिनाइयों पर अनुभव साझा
बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने अंतरिक्ष में जीवन और दिनचर्या से जुड़ी चुनौतियों के बारे में भी सवाल किए। इस पर शुक्ला ने बताया –
“यहां सोना भी चुनौती है। गुरुत्वाकर्षण की अनुपस्थिति में छोटी से छोटी गतिविधि भी जटिल बन जाती है। हमने एक साल तक कड़ी ट्रेनिंग ली थी, लेकिन यहां की वास्तविकता उससे कहीं अलग है।”
मिशन गगनयान, चंद्रमा पर भारतीय और भविष्य की योजना
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर देश के महत्वाकांक्षी मिशन गगनयान का जिक्र करते हुए कहा –
“हमें गगनयान को आगे ले जाना है, भारतीय स्पेस स्टेशन बनाना है और यह सुनिश्चित करना है कि एक दिन कोई भारतीय चंद्रमा पर कदम रखे। आपके अनुभव आने वाले सभी अभियानों की नींव बनेंगे।”
इस संवाद ने न केवल देशवासियों के लिए गौरव का क्षण प्रदान किया, बल्कि भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में बढ़ती उपस्थिति और सांस्कृतिक पहचान को भी उजागर किया। शुभांशु शुक्ला द्वारा अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय स्वाद और सोच का प्रतिनिधित्व आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगा।