पटना: जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर बिहार में सियासी घमासान और तेज़ हो गया है। केंद्र सरकार द्वारा 2025 की जनगणना में जाति आधारित आंकड़े शामिल करने के ऐलान के बाद अब इसका क्रेडिट लेने की होड़ तेज हो गई है।
‘माननीय मुख्यमंत्री जी ने देश को दिखाई जातीय जनगणना की राह’
देश में जातीय जनगणना करवाना एक ऐतिहासिक निर्णय है। यह न सिर्फ सामाजिक असमानताओं को उजागर करने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि हमारे अभिभावक, माननीय मुख्यमंत्री श्री @NitishKumar जी के विज़न और दूरदर्शिता की भी पुष्टि… pic.twitter.com/JoEpoJwnK9
— Dr. Ashok Choudhary (@AshokChoudhaary) April 30, 2025
शुक्रवार को इस मुद्दे पर बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी ने तेजस्वी यादव को आड़े हाथों लिया और कहा कि “जातीय सर्वेक्षण की पहल नीतीश कुमार ने की थी, तेजस्वी अब बिना मेहनत के इसका श्रेय लेना चाहते हैं।”
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Caste Census: जेडीयू बनाम आरजेडी: ‘कौन है असली पहलकर्ता?’
तेजस्वी यादव ने इस हफ्ते जातीय जनगणना की घोषणा को “महागठबंधन की जीत” करार देते हुए कहा था कि 2023 में बिहार में कराया गया जातीय सर्वे उनकी पहल का नतीजा था। लेकिन जेडीयू के वरिष्ठ नेता अशोक चौधरी ने इसका तीखा जवाब देते हुए कहा,
“तेजस्वी यादव जब सत्ता में नहीं थे, तब भी नीतीश कुमार ने ही इस सर्वे का निर्णय लिया था। राजद उस वक्त गठबंधन का हिस्सा नहीं थी। अब जब केंद्र ने ऐलान किया है, तो तेजस्वी यादव क्रेडिट लेने में जुट गए हैं।”
Caste Census: कांग्रेस को भी निशाने पर लिया
अशोक चौधरी ने राहुल गांधी द्वारा बिहार के जातीय सर्वे को “फर्जी” बताए जाने पर भी निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस पर जुबानी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा,
“अगर हमारे सर्वे को फर्जी बताया जा रहा है, तो कांग्रेस शासित राज्यों में अब तक ऐसा सर्वे क्यों नहीं कराया गया? सिर्फ भाषण देने से कुछ नहीं होता, जमीन पर काम दिखाना होता है।”
‘जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी’: पसमांदा मुसलमानों का मुद्दा भी उठा
जातीय जनगणना में मुस्लिम समुदाय, खासकर पसमांदा वर्ग को शामिल करने की मांग पर मंत्री चौधरी ने सहमति जताई। उन्होंने कहा,
“पसमांदा समाज आज भी हाशिए पर है। ‘अंसारी’, ‘जुलाहा’, ‘बुनकर’ जैसे समुदायों की हिस्सेदारी बेहद कम है। लोकतंत्र में ‘जितनी आबादी, उतनी हिस्सेदारी’ का फॉर्मूला लागू होना चाहिए।”