झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) को एक और बड़ा झटका लगने वाला है।
लोबिन हेंब्रम आज बीजेपी में शामिल
जेएमएम के वरिष्ठ और प्रभावशाली नेता लोबिन हेंब्रम आज भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में शामिल होने जा रहे हैं। वह आज दोपहर 12 बजे बीजेपी कार्यालय में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे।
लोबिन हेंब्रम का जेएमएम से नाता काफी पुराना था, लेकिन पिछले कुछ समय से उनके और पार्टी के बीच मतभेद बढ़ते गए। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान उन्होंने पार्टी के खिलाफ बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया था।
इसके बाद, JMM ने मई 2024 में उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था। हाल ही में, स्पीकर न्यायाधिकरण ने दल-बदल के मामले में सुनवाई के बाद लोबिन हेंब्रम की सदस्यता भी रद्द कर दी थी।
JMM को दूसरा बड़ा झटका
लोबिन हेंब्रम के बीजेपी में शामिल होने की खबर के बाद जेएमएम को दूसरा बड़ा झटका लगेगा, क्योंकि इससे पहले शुक्रवार को चंपाई सोरेन भी बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। उन्हें केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने बीजेपी की सदस्यता दिलाई थी।
झारखंड में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर हेमंत सोरेन और उनकी पार्टी के लिए यह दौर काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का इस तरह से बीजेपी में शामिल होना जेएमएम के लिए चिंता का विषय है और इसके चुनावी नतीजों पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
लोबिन हेंब्रम का निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। लोकसभा चुनाव के दौरान, राजमहल सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा भरने का उनका निर्णय जेएमएम के भीतर गहरी नाराजगी और असंतोष का परिणाम था।
जेएमएम ने उसी सीट के लिए विजय हांसदा को टिकट दिया, जिससे लोबिन हेंब्रम असंतुष्ट हो गए और निर्दलीय रूप से चुनाव में उतरने का फैसला किया। इसके बाद पार्टी ने कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया।
पार्टी के नियमों के तहत दुर्गा सोरेन के बाद पार्टी की कमान सीता सोरेन को दी जानी चाहिए थी
लोबिन हेंब्रम की नाराजगी केवल टिकट मिलने से जुड़ी नहीं थी, बल्कि झारखंड में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर भी थी। हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपाई सोरेन को नया मुख्यमंत्री चुना गया, जबकि लोबिन का मानना था कि सत्ता का हस्तांतरण बसंत सोरेन को होना चाहिए था। उन्होंने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि पार्टी के नियमों के तहत दुर्गा सोरेन के बाद पार्टी की कमान सीता सोरेन को दी जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
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इन तमाम असंतोषों के चलते लोबिन हेंब्रम ने जेएमएम से दूरी बनाते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ने का साहसिक कदम उठाया। अब, उनके बीजेपी में शामिल होने के फैसले से जेएमएम को एक और बड़ा झटका लगा है। यह घटनाक्रम झारखंड की राजनीति में बड़े बदलाव का संकेत दे रहा है और आगामी चुनावों में इसका असर साफ दिखाई देगा।