Vishwakarma Puja 2025: हर वर्ष विश्वकर्मा पूजा देशभर में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाती है। यह पर्व तकनीक, निर्माण, और शिल्पकला के देवता भगवान विश्वकर्मा को समर्पित होता है। आइए जानते हैं इस पर्व के बारे में विस्तार से — यह कब आता है, क्यों मनाया जाता है, कहाँ और कैसे मनाया जाता है, और इसका क्या महत्व है।
कब मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा?
विश्वकर्मा पूजा हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है। यह तिथि सूर्य के कन्या राशि में प्रवेश करने पर आती है, जिसे ‘विश्वकर्मा दिवस’ या ‘विश्वकर्मा जयंती’ भी कहा जाता है।
क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा?
विश्वकर्मा जी को सृष्टि के पहले वास्तुकार, इंजीनियर, और शिल्पकार के रूप में जाना जाता है। मान्यता है कि उन्होंने स्वर्ग लोक, पुष्पक विमान, द्वारका नगरी, और भगवान शिव का त्रिशूल जैसी अद्भुत रचनाएं की थीं। इस दिन लोग उनके प्रति आस्था जताते हुए अपने औज़ार, मशीनें और कार्यस्थलों की पूजा करते हैं।
कहाँ मनाई जाती है यह पूजा?
यह पर्व पूरे भारत में, विशेषकर उद्योगिक क्षेत्रों, कारखानों, इंजीनियरिंग वर्कशॉप, निर्माण स्थलों और शैक्षणिक संस्थानों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। पूर्वी भारत — जैसे बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में यह पर्व विशेष महत्व रखता है।
कैसे मनाई जाती है विश्वकर्मा पूजा?
- कार्यस्थल की सफाई: सुबह से पहले कार्यस्थलों और मशीनों को साफ किया जाता है।भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र की स्थापना: फिर पूजा स्थल पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा या चित्र स्थापित किया जाता है।
- पूजा सामग्री: फूल, धूप, दीप, नैवेद्य और औजारों से पूजा की जाती है।
- औजारों और मशीनों की पूजा: उस दिन मशीनें बंद रखी जाती हैं और उनकी विशेष पूजा की जाती है।
- प्रसाद वितरण: पूजा के बाद सभी कर्मचारियों या परिवारजनों को प्रसाद दिया जाता है।
- सांस्कृतिक कार्यक्रम: कई जगहों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और भोज का आयोजन भी होता है।
विश्वकर्मा पूजा का महत्व
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कर्म के प्रति सम्मान: यह पर्व मेहनत, हुनर और तकनीकी कौशल को सम्मान देने का प्रतीक है।
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सुरक्षा की कामना: लोग मशीनों और औजारों की पूजा कर उनके सही और सुरक्षित संचालन की प्रार्थना करते हैं।
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प्रेरणा का स्रोत: यह पर्व कार्यक्षेत्र में सकारात्मक ऊर्जा लाता है और बेहतर कार्य नैतिकता को बढ़ावा देता है।
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विश्वकर्मा पूजा केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि कर्म, सृजन और नवाचार का उत्सव है। यह हमें सिखाता है कि कार्य ही पूजा है, और सच्ची श्रद्धा से किया गया कार्य ही जीवन को सफल बनाता है।