Nishikant Dubey: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने एक बार फिर से राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस हमले में जहां आम पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर लापरवाही सामने आई है, वहीं एक अलग ही विवाद ने तूल पकड़ लिया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
आरजेडी का कहना है कि हमले से ठीक पहले भाजपा सांसद ने अपनी शादी की रजत जयंती उसी स्थान पर धूमधाम से मनाई, जहां आतंकी हमला हुआ था। आरोप है कि इस कार्यक्रम के दौरान इलाके में भारी सुरक्षा बल तैनात था, लेकिन आम पर्यटकों के लिए कोई विशेष सुरक्षा व्यवस्था नहीं की गई थी। इस दोहरे मापदंड पर अब राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं।
‘जनता की जान की कोई कीमत नहीं’ – राजद
राजद के प्रवक्ताओं ने कहा है कि यह मामला केवल सुरक्षा चूक का नहीं, बल्कि वीआईपी संस्कृति के घातक प्रभाव का भी है। उन्होंने पूछा कि अगर सांसद के निजी जश्न के लिए सुरक्षा व्यवस्था की जा सकती है, तो उसी जगह आम नागरिकों की रक्षा क्यों नहीं की गई? राजद नेताओं का यह भी कहना है कि यह दर्शाता है कि सरकार की प्राथमिकता आम जनता नहीं, बल्कि अपने खास लोग हैं।
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Nishikant Dubey : सवालों के घेरे में सुरक्षा एजेंसियां
इस पूरे मामले में सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका भी शक के दायरे में आ गई है। आतंकी गतिविधियों की पहले से सूचना होने के बावजूद, इलाके में किसी प्रकार की सघन जांच या निगरानी देखने को नहीं मिली। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सही समय पर सतर्कता बरती जाती, तो इस हमले को रोका जा सकता था।
Nishikant Dubey : वीआईपी संस्कृति बन रही खतरा
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या वीआईपी संस्कृति हमारे देश की सुरक्षा व्यवस्था को कमजोर कर रही है? जब एक आम नागरिक को सुरक्षा देने की जगह नेताओं और उनके निजी आयोजनों को प्राथमिकता दी जाए, तो यह लोकतंत्र की मूल भावना पर चोट करता है।
जवाबदेही तय होनी चाहिए
पहलगाम आतंकी हमले ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हम अपनी सुरक्षा नीति को सही दिशा में ले जा रहे हैं? इस घटना में न केवल सुरक्षा चूक उजागर हुई है, बल्कि यह भी साफ हुआ कि वीआईपी संस्कृति आज भी हमारे तंत्र पर भारी पड़ रही है। अब जरूरी है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां इस पर गंभीरता से विचार करें और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।
राजद द्वारा उठाए गए सवाल केवल राजनीतिक नहीं हैं, बल्कि ये आम जनता की सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हैं, जिनका जवाब सरकार को देना होगा।