Pahalgam Attack: झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट से सांसद डॉ. निशिकांत दुबे ( Nishikant Dubey ) का हालिया सोशल मीडिया पोस्ट इन दिनों चर्चा में है। दुबे ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
“अशहदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरीक लहू व अशदु अन्न मुहम्मदन अब्दुहू व रसूलुहू। मैं इन दिनों कलमा सीख रहा हूं, मुझे नहीं पता कि कब मुझे इसकी जरूरत पड़ जाए।”

“अशहदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी-क लहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु ”
मैं इन दिनों कलमा सीख रहा हूं, मुझे नहीं पता कि कब मुझे इसकी जरूरत पड़ जाए।— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) April 24, 2025
यह पोस्ट जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद आई है, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। रिपोर्टों के अनुसार, आतंकवादियों ने हमले से पहले कुछ पीड़ितों से कलमा पढ़ने को कहा था। जो ऐसा करने में विफल रहे, उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई।
सांसद ने पहले भी उठाए थे सवाल
निशिकांत दुबे ने इससे पहले भी पहलगाम हमले पर एक अन्य पोस्ट में लिखा था कि जब देश को हिंदू और मुसलमान के नाम पर बांटा गया है, इसलिए, वोट बैंक के लिए अल्पसंख्यकों को विशेष अधिकार देना और हिंदुओं को द्वितीय श्रेणी का नागरिक बनाना गलत है। उन्होंने तीखे सवाल उठाते हुए पहलगाम की घटना को धर्म आधारित हत्या करार दिया।
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राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज़
निशिकांत दुबे के इस बयान ने एक बार फिर देश में धर्म, आतंकवाद और राजनीतिक जिम्मेदारी को लेकर बहस छेड़ दी है। एक तरफ कुछ लोग इसे सच बताकर इसका समर्थन कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कई लोग इसे डर फैलाने वाला और गैरजिम्मेदाराना बयान बता रहे हैं।
पहलगाम हमला और उसके बाद आए ऐसे बयानों से संकेत मिलता है कि देश में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सिर्फ सुरक्षा के मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक और वैचारिक स्तर पर भी लड़ी जा रही है। सांसद निशिकांत दुबे का कलमा सीखने संबंधी बयान भले ही व्यक्तिगत चिंता के तौर पर आया हो, लेकिन इसने एक बार फिर राजनीतिक और सामाजिक बहस को गरमा दिया है।





