Bihar News: नावी रणनीतिकार और हाल ही में जन सुराज पार्टी का गठन करने वाले Prashant Kishor एक नए विवाद में घिरते नजर आ रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, उनका नाम कथित तौर पर दो अलग-अलग राज्यों – बिहार और पश्चिम बंगाल – की मतदाता सूचियों में दर्ज पाया गया है। यह जानकारी एक सूचना का अधिकार (RTI) याचिका के जवाब में सामने आई है, जिसके बाद कानूनी सवाल खड़े हो गए हैं।

Prashant Kishor: RTI से हुआ खुलासा
एक आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा दायर याचिका के जवाब में यह दावा किया गया है कि प्रशांत किशोर का नाम पश्चिम बंगाल के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची (जहां वे कथित तौर पर किराएदार के रूप में दर्ज हैं) और बिहार के बक्सर जिले स्थित उनके पैतृक गांव अहिरौली की मतदाता सूची, दोनों में शामिल है।
Prashant Kishor: क्या कहता है कानून?
भारत का जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 (Representation of the People Act, 1950) स्पष्ट रूप से कहता है कि कोई भी नागरिक एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में पंजीकृत नहीं हो सकता। अधिनियम की धारा 17 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकरण का हकदार नहीं है, और धारा 18 कहती है कि कोई भी व्यक्ति एक ही निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक बार पंजीकरण का हकदार नहीं है। धारा 31 के तहत गलत घोषणा देना एक दंडनीय अपराध है, जिसमें एक साल तक की कैद या जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
क्या हो सकती है कार्रवाई?
यदि यह पाया जाता है कि प्रशांत किशोर का नाम वास्तव में दो अलग-अलग राज्यों की मतदाता सूचियों में दर्ज है, तो यह कानून का उल्लंघन होगा। ऐसे में, चुनाव आयोग संबंधित निर्वाचन रजिस्ट्रीकरण अधिकारियों (ERO) को निर्देश दे सकता है कि वे जांच करें और किसी एक स्थान से नाम हटाने की प्रक्रिया शुरू करें। इसके अलावा, गलत जानकारी देने के लिए कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
प्रशांत किशोर या जन सुराज की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे मामले पर अभी तक प्रशांत किशोर या उनकी नवगठित पार्टी ‘जन सुराज’ की ओर से कोई आधिकारिक बयान या स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वे इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं।
फिलहाल, यह मामला आरटीआई जवाब पर आधारित है और इसकी आधिकारिक जांच और पुष्टि होनी बाकी है।






