नई दिल्ली | पाकिस्तान के लिए एक और बड़ा झटका सामने आया है। Balochistan में एक बार फिर आज़ादी की मांग ज़ोर पकड़ने लगी है। बलूच नेता मीर यार बलूच ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि “बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है।” उन्होंने वैश्विक समुदाय और विशेष रूप से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समर्थन की अपील की है।
Balochistan News: पाकिस्तान से खुलेआम अलगाव की घोषणा
मीर यार बलूच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा –
“तुम मारोगे, हम निकलेंगे। हम नस्ल बचाने निकले हैं। आओ हमारा साथ दो। बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है।”
उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान के लोग सड़कों पर हैं और यह उनका राष्ट्रीय फैसला है। बलूच नेता ने यह भी जोड़ा कि “दुनिया अब मूकदर्शक नहीं रह सकती।”
Balochistan: भारतीय मीडिया और यूट्यूबर्स से की खास अपील
बलूच नेता ने भारत के नागरिकों, मीडिया और यूट्यूबर्स से अपील करते हुए कहा कि बलूचों को “पाकिस्तान के अपने लोग” कहना बंद करें।
“हम पाकिस्तानी नहीं हैं, हम बलूचिस्तानी हैं। पाकिस्तान के अपने लोग पंजाबी हैं, जिन्होंने कभी हवाई बमबारी, जबरन गायब किए जाने और नरसंहार का सामना नहीं किया,” उन्होंने लिखा।
POK पर भारत का समर्थन, पाकिस्तान को चेतावनी
14 मई को भारत द्वारा पाक अधिकृत कश्मीर (POK) को लेकर लिए गए फैसले का समर्थन करते हुए मीर यार बलूच ने कहा:
“बलूचिस्तान, पाकिस्तान से पीओके खाली करने के भारत के फैसले का पूरा समर्थन करता है।”
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी पाकिस्तान पर दबाव डालने की अपील की ताकि वह POK खाली करे और एक और 1971 जैसी शर्मनाक पराजय से बच सके।
बलूच नेता ने आगे कहा कि
“भारत, पाकिस्तानी सेना को हराने में पूरी तरह सक्षम है। अगर पाकिस्तान ने अब भी ध्यान नहीं दिया तो आने वाले रक्तपात की जिम्मेदारी सिर्फ इस्लामाबाद के लालची जनरलों की होगी।”
Balochistan की आज़ादी की मुहिम को नया बल
यह बयान उस समय आया है जब पाकिस्तान के भीतर कई मोर्चों पर संकट गहराया हुआ है। बलूचिस्तान लंबे समय से आज़ादी की मांग कर रहा है, लेकिन इस बार आवाज़ न सिर्फ़ तीखी है, बल्कि खुलेआम अलगाव और अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग भी कर रही है।
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बलूचिस्तान से आया यह बयान पाकिस्तान की आंतरिक विफलताओं और मानवाधिकार उल्लंघनों को एक बार फिर वैश्विक मंच पर उजागर कर रहा है। भारत के साथ बलूच नेतृत्व का यह सार्वजनिक समर्थन दक्षिण एशिया की भूराजनीतिक स्थिति में बड़ा बदलाव ला सकता है। अब देखना यह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और भारत सरकार इस नए घटनाक्रम पर क्या रुख अपनाते हैं।
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