Monday, June 16, 2025
spot_img
HomeTV45 Newsजदयू विधायक Gopal Mandal: 'मैं ही निशांत को राजनीति में लेकर आया'

जदयू विधायक Gopal Mandal: ‘मैं ही निशांत को राजनीति में लेकर आया’

Patna: Gopal Mandal: बिहार की राजनीति में बयानबाज़ी और व्यक्तिगत दावों का दौर अक्सर चर्चा में रहता है। इस कड़ी में अब जनता दल यूनाइटेड (JDU) के वरिष्ठ विधायक गोपाल मंडल ने एक बड़ा बयान देकर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।

उन्होंने दावा किया है कि निशांत को राजनीति में लाने का श्रेय उन्हीं को जाता है। यह बयान न केवल व्यक्तिगत राजनीतिक प्रभाव को दर्शाता है, बल्कि जदयू के आंतरिक समीकरणों पर भी सवाल खड़ा करता है।

Gopal Mandal का बयान: एक निजी दावा या राजनीतिक संकेत?

गोपाल मंडल ने मीडिया से बातचीत में साफ-साफ कहा, “निशांत को राजनीति में मैं ही लेकर आया था, आज अगर वह इस मुकाम पर हैं तो उसकी नींव मैंने रखी थी।” उनका यह दावा कई लोगों को चौंका देने वाला लगा, क्योंकि निशांत को जदयू में एक उभरते हुए चेहरे के रूप में देखा जा रहा है।

निशांत कौन हैं?

निशांत जदयू के युवा और सक्रिय नेताओं में गिने जाते हैं। वे पार्टी के कार्यक्रमों में लगातार सक्रिय रहते हैं और जनता के बीच अपनी पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में पार्टी नेतृत्व के साथ उनकी बढ़ती नजदीकियों के चलते उन्हें भविष्य का चेहरा माना जा रहा है।

Gopal Mandal News: क्या यह सत्ता में हिस्सेदारी का संकेत है?

गोपाल मंडल का यह दावा केवल व्यक्तिगत प्रभाव जताने के लिए नहीं माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान पार्टी में अपने प्रभाव को बनाए रखने और भविष्य की राजनीति में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की एक रणनीति हो सकती है। जदयू जैसी पार्टी में जहां वरिष्ठ नेताओं का अनुभव अहम होता है, वहां ऐसे दावे नेतृत्व पर दबाव बनाने की कोशिश भी हो सकते हैं।

यह भी पढ़े: राम विलास +2 उच्च विद्यालय बेरमो में लगातार हो रही है चोरी

अंदरूनी खींचतान का इशारा

इस बयान के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या जदयू के अंदर नेतृत्व को लेकर कोई खींचतान चल रही है? क्या वरिष्ठ नेता यह महसूस कर रहे हैं कि नई पीढ़ी के नेताओं को अचानक बढ़ावा दिया जा रहा है? गोपाल मंडल जैसे नेताओं का यह बयान यही संकेत देता है कि पार्टी के अंदर गुप्त असंतोष भी पल रहा हो सकता है।

गोपाल मंडल द्वारा किया गया यह दावा केवल एक व्यक्ति को लेकर नहीं है, बल्कि यह जदयू की आंतरिक राजनीति की गहराई को उजागर करता है। अगर पार्टी नेतृत्व इस तरह के बयानों को गंभीरता से नहीं लेता, तो यह भविष्य में पार्टी के लिए चुनौतियाँ खड़ी कर सकता है। वहीं, यह भी तय है कि बिहार की राजनीति में अब नए और पुराने नेताओं के बीच संतुलन साधना और भी ज़रूरी हो गया है।

 

 

 

 

 

यह भी पढ़े: FIR की बौछार: बोकारो में विस्थापन आंदोलन के बाद सियासी संग्राम तेज, अब तक 6 मामले दर्ज

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Advertisment

- Advertisment -spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Most Popular

Recent Comments