Muzaffarpur News: जिले के गायघाट प्रखंड के भुसरा गांव की 78 वर्षीय निर्मला देवी को भारत सरकार द्वारा पद्मश्री सम्मान से नवाज़ा गया है। यह न केवल गांव या जिले के लिए, बल्कि पूरे बिहार के लिए गर्व की बात है। सुजनी कढ़ाई कला को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में उनके योगदान को इस सम्मान के रूप में सराहा गया।
आमतौर पर इस उम्र में जहां हाथ कांपने लगते हैं, आंखें कमजोर हो जाती हैं और चलना मुश्किल हो जाता है, वहीं निर्मला देवी ने इस धारणा को तोड़ते हुए यह साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति और जुनून हो तो उम्र सिर्फ एक संख्या है।
वे पिछले 40 वर्षों से सुजनी कढ़ाई में सक्रिय हैं और महिला विकास समिति की अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रही हैं। उन्होंने अब तक 750 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया है, जिससे न केवल उन महिलाओं को रोज़गार मिला, बल्कि उनकी जिंदगी भी संवरी।
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निर्मला देवी बताती हैं कि उन्होंने यह कला अपनी मां से सीखी। पुराने समय में उनकी मां फटे पुराने कपड़ों को जोड़कर बिस्तर के कवर बनाती थीं – वहीं से यह कला सीखने की शुरुआत हुई। उन्होंने इसे सीखते-सिखाते अब इसे एक आंदोलन का रूप दे दिया है।
दिल्ली से मिला पद्मश्री की सूचना का फोन पहले तो उन्हें यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब परिवार वालों ने मिठाई लेकर बधाई दी, तब उन्हें विश्वास हुआ कि उनका सपना सच हो गया है। उन्हें 25 अप्रैल को पद्मश्री सम्मान प्रदान किया गया।
आज वे कहती हैं, “मैं अकेली शुरू हुई थी, अब सैकड़ों महिलाएं मेरे साथ जुड़ चुकी हैं और अपने पैरों पर खड़ी हैं।”
निर्मला देवी सचमुच एक “जीती-जागती प्रेरणा” हैं, जो यह सिखाती हैं कि परंपरा, हुनर और आत्मबल से देश और समाज को नई दिशा दी जा सकती है।